Friday, 22 November 2019
मुलाक़ात
Sunday, 3 June 2012
Ke Sub Hi Hamaray Aazamaye Huey Hain
Tum Hi Ne Hamein Kar Diya Tanha
Warna Hum To Ta’alluq Nibhaey Huay Hain
Dheemay Dheemay Aansoo Dil Se Girtay
Ke Hum Apna Gham Sub Se Chupaey Huay Hain
Un Shaano Tak Ab Rasaai Na Rahi
Jin Shano Pe Aansoo Bahaye Huay Hain
Hum Karein Ab Kisi Per Kaisay Bharosa
Ke Zamane Se Dhokay Khaaey Huay Hain
Khushion Se Bhi Ab To Lagta Hay Dar
Is Qadar Zakham Hum Ne Khaye Huay Hain
Ab Dast-e-Shanasai Na BaRhayein Gay Hum
Ke Zamane Bhar Se Thukraye Huey Hain…
Thursday, 19 August 2010
sapna
ya maine sapna dekhna hi chod diya hai
mujhe apne aap se koi ummeed nahi hai
ya maine ummeed karni chod di hai
meri koi pasand hi nahi hai
ya maine khud ko napasand karna shuru kar diya hai
bahar ki duniya mujhe raas nahi aati ha
mere andar sab kuch toota hooaa hai
main apni tootan kisse kahoon
tumse kahte hue main darta hoon
aur doosro ko main samjha nahi sakta
tum hi merei aasha ho
ummeed ki aakhiri kiran ho
tum hi woh ho
jo meri tootan ko samet sakti hai
is bikhre hue birene ko sametkar
ek khubsurat sa gulshan bana sakti ho
par kya main tumhe yah samjha paoonga
shaayad nahi lekin kyon
shaayad mere andar ek dar hai
yadi tum na samajh saki
ya tumne is bikhre hue gulshan ko jodne se inkar kar diya
shaayad tab main vilin ho jaaoon bikhar jaoon
apne tootan ke andar ya bahar
shayaad tumhere liye ek sadharan si na ho
per mere liye to yah ek bikhrav hai
apne ummeedo ke bikherne ki
aashaaoo ke tootne ki
shayad main isliye tumhe kahne se darta hoon
shyad main khue ke bikherne se nahi darta
per ummeddon ki akhiri kiran ke doobne se darta hoon
Monday, 7 June 2010
ये प्यार नही है खेल प्रिये
तुम एम. ए. फ़र्स्ट डिवीजन हो, मैं हुआ मैट्रिक फ़ेल प्रिय
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये
तुम फौजी अफ़्सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ
तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं सत्तू सपरेटा हूँ
तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ
तुम नयी मारूती लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूँ
इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, आपस मे प्रेम बढायेंगे
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जायेंगे
सब हड्डी पसली तोड मुझे, भिजवा देंगे वो जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये
तुम अरब देश की घोडी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये ।
तुम दीवली क बोनस हो, मैं भूखों की हडताल प्रिये ।
तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्मुनिअम का थाल प्रिये ।
तुम चिकेन-सूप बिरयानी हो, मैन कंकड वाली दाल प्रिये ।
तुम हिरन-चौकडी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये ।
तुम चन्दन-वन की लकडी हो, मैं हूँ बबूल की चाल प्रिये
मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मार मुझे गुलेल प्रिये ।
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।
Friday, 16 April 2010
एक जन्म और
Friday, 2 April 2010
हाँ मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ
मिलके मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ
तुमसे मिलने के लिए नित नए बहाने ढूंढता हूँ
कभी दोस्त कभी कोई और, मैं दूसरो को ढूंढता हूँ
मैं हर बार छिपे हुए यह इजहार करता हूँ
हाँ मैं तुमसे मैं मिलना चाहता हूँ
मेरी इस बेकरारी की कोई सीमा नहीं है
मेरी इस तड़प का कोई अंत नहीं है
फिर भी मैं तुमसे यह कहने से डरता हूँ
हाँ मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ
मेरी नजर हर जगह तुम्हे ढूंढती है
मेरा मन हर बार कहता है तुम यहाँ आओगी
मेरा दिल हर बार मेरा साथ छोड़ता है
हर जगह हर पल वो तुम्हे ढूंढता है
यहाँ तक की अब मैं भी बदल रहा हूँ
अन्दर से तो तुम्हारा था
अब बाहर से तुम जैसा हो रहा हूँ
लेकिन फिर भी मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ
तुम मुझे रोज मिलती हो मेरे सपनो में
तुम मुझे इस जहा में कभी न मिलना
हाँ मेरे सपनो में तुम आती रहना
तुमसे मिलने के बाद शायद मैं तुमसे आँख ना मिला सकूँ
या मैं इतना खुश हो जाऊं मैं तुम्हे ही भूल जाऊं
मेरा सपना हकीकत बन गया और मैं खुद को भूल जाऊं
यह सब तुम्हे शायद तुम्हे पसंद आये या ना आये
इसलिए तुम मुझसे कभी ना मिलना
फिर मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ
मिलके मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ
हाँ मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ
बस एक बार रुको
कोई भाव नहीं ना ही कोई स्वपन
बस एक समपर्ण है, एक अहसास है
मैं खुश हूँ की तुम आयी
मेरा मन तुम्हारे स्वागत के लिए बेक़रार है
पर मेरा यह भावहीन चेहरा
मुझे रोक रहा है
मुझसे कह रहा है
तुम मेरे लिए नहीं हो
नहीं मैं गलत हूँ
मैं तेरे लिए नहीं हूँ
मैं जितना तुम्हारे लिए आगे आऊँगा
तुम उतनी ही दूर चली जाओगी
क्या यह सत्य है
शायद नहीं अथवा हाँ
लेकिन मेरा डर
उसने मेरे दिल को दबा रखा है
मैं अपने अंतर्द्वंद में चुपचाप खड़ा
केवल अपने आपसे लड़ रहा हूँ
और तुम शायद मेरे सामने से जा रही हो
मैं कहना चाह रहा हूँ की रूकों,
बस एक बार रुको
सिर्फ मेरे लिए,
या एक अनजाने के लिए
पर मैं शायद नहीं कह पा रहा हूँ
तुम्हे खोने का डर मेरे ऊपर हावी है
और तुम मेरे पास से जा रही हो
Friday, 19 March 2010
Tuesday, 16 March 2010
Saturday, 20 February 2010
क्या मैं यह कभी कह पाऊँगा
हाँ, तुम मुझे पसंद हो
मेरी धड़कन हो
मेरे खयालो में तुम ही छाई हुई हो
मेरा स्वपन मेरा ख्याल मेरी चेतना
सब में तुम ही तुम समाई हुई हो
फिर भी मैं,
क्या कभी कह पाऊँगा
की मैं तुम्हे भूलने के लिए
तुमसे दूर भागता हूँ
अपनी इच्छा चाहत सभी को एक तरफ करता हूँ
पर तुम उतना ही मेरे ऊपर छाई जा रही हो
क्या मैं यह कभी समझ पाऊँगा
मैं तुमसे ही दूर क्यों भागता हूँ
क्यूं जब भी मुझे यह अहसास होता है
की तुम मेरे पास आ रही हो
मैं उसी पल अपने को कैद कर लेता हूँ
मैं खुद को खुद के अन्दर छिपा लेता हूँ
क्यां मैं यह कभी खुद से कह पाऊँगा
की मैं जैसा भी हूँ जो भी हूँ अच्छा हूँ
पर नहीं शायद,
शायद मैं खुद को ही नापसंद हूँ
इसलिए मैं किसी को कह नहीं सकता
मेरी चाहत क्या है, मेरी इच्छा क्या है
मैं खुद को नहीं कह पाता की मुझे पसंद क्या है
बाहर की दुनिया में मुझे सब चाहते है
पर अपने अन्दर मैं एक लड़ाई लड़ रहा हूँ
इसमें मैं हारता ही रहा हूँ
क्या मैं यह कभी कह पाऊँगा
मेरी लड़ाई में तुम मेरा साथ दो
शायद नहीं
क्योंकि जब भी कोई मेरे करीब आता है
मैं ओर भी तनहा हो जाता हूँ
उसे खोने का डर इतना होता है
उसे अपने सामने से जाते हुए देखता हूं
चलो जो भी है अच्छा ही है
बहार की दुनिया के लिए मैं अच्छा हूँ
पर अपने अन्दर मैं लड़ता ही रहूँगा
पर तुम मेरे अन्दर कभी ना आना
क्योंकि उसके बाद मैं जीतूंगा या हारूंगा
और मैं यह कभी सह नहीं सकता
क्योंकि जीत मेरी नहीं है और हारना मैंने सीखा नहीं है
शायद लड़ना ही मेरी नियति है
अपने आप से, अपने लिए अपनी प्रभुता के लिए
शायद तुम यह समझ सकोगी
मैं यह समझा सकूंगा
शायद नहीं
इसलिए क्या मैं यह कभी कह पाऊँगा
लेकिन मैं यह सुन भी नहीं पाऊँगा
मुलाकात
बातों बातों में कोई बात कहा ले जाए
जिस्म को काट के आँखों में थमा हैं पानी
देखिये दर्द की यह बरसात कहा ले जाए
उनकी महफ़िल ही नहीं शहर में मकतल भी हैं
क्या खबर गर्दिशे हालात कहा ले जाये
तुम मेरे ख्वाब संभालो तो सफ़र पे निकलू
इस कदर बोझ कोई साथ कहा ले जाए
हम भी एक उम्र गवांकर जिन्हें हल न कर सके
जिंदगी अब वह सवालात कहा ले जाये
जिन्दगी गर्म हवाओ का सफ़र ही दोस्त
कोई यह फूल से जज्बात कहा से ले जाये
Thursday, 14 January 2010
कौन हूँ मैं
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.. मेरा परिचय""मिट्टी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन, मेरा परिचय"
Wednesday, 6 January 2010
चलो अब शाम की बातें करते हैं
अब आराम की बातें करते हैं
जिंदगी है बहुत दौड़-धूप
चलो अब शाम की बातें करते हैं
रात चैन से सोए नहीं
सुबह से हैं हम जागे हुए
जीवन की आपाधापी में
कहाँ-कहाँ नहीं हैं भागे हुए
थक कर हुए हैं चूर
चलो अब छाँव की बातें करते हैं
घुटन में जी रहे है लोग यहाँ
धुँआ है हर तरफ फैला हुआ
झूठी मुस्कानों से भरे चेहरे
मन मगर है मैला हुआ
कुछ देर घूम आएँ शहर से दूर
चलो अब गाँव की बातें करते हैं
पल पल घटते जीवन में
जोड़ने की धुन में जिए जाते हैं
गुणा- भाग के फेर में
हम एक दिन शेष बन कर रह जाते हैं
जीवन में बचा है फिर भी बहुत सुरूर
चलो अब जाम की बातें करते हैं
कभी हँस के- कभी रो के
हम सब रिश्तों को यहाँ ढोते हैं
कभी बुनते हैं हम सपने
कभी हम सपनों को यहाँ बोते हैं
बेतहाशा दौड़ती जिंदगी न जाए छूट
चलो अब लगाम की बातें करते हैं
कुछ लम्हे तो जी लिए हैं भरपूर
अब आराम की बातें करते हैं
जिंदगी है बहुत दौड़-धूप
चलो अब शाम की बातें करते हैं
Thursday, 17 December 2009
Sunday, 4 October 2009
To kyo aarzu ki mulakat…
Ye rasman bhi koi nahi puchta…
Kahan din guzara??
Kahan raat ki………
Pata ye chala vo to ha SANGDIL
Use kadr kya mere JAZBAAT KI………..
Tumhe pa k bhi hum akele rahe…………………..
Ajab DURIYAN hain ye halaat ki……..,,
Kasam hai na bulegi ”
MALIKA” Kabhi
Jo ghadiyan guzari tere sath ki………………….!!!!
Ke Sub Hi Hamaray Aazamaye Huey Hain
Tum Hi Ne Hamein Kar Diya Tanha
Warna Hum To Ta’alluq Nibhaey Huay Hain
Dheemay Dheemay Aansoo Dil Se Girtay
Ke Hum Apna Gham Sub Se Chupaey Huay Hain
Un Shaano Tak Ab Rasaai Na Rahi
Jin Shano Pe Aansoo Bahaye Huay Hain
Hum Karein Ab Kisi Per Kaisay Bharosa
Ke Zamane Se Dhokay Khaaey Huay Hain
Khushion Se Bhi Ab To Lagta Hay Dar
Is Qadar Zakham Hum Ne Khaye Huay Hain
Ab Dast-e-Shanasai Na BaRhayein Gay Hum
Ke Zamane Bhar Se Thukraye Huey Hain…
aag gulshan mai baharen bhi laga sakti hai
Sirf Bijli hi giri ho ye zaroori to nahi
Neeend to dard ke bistar pe bhi aa sakti hai
Teri aahosh mai hi sar ho ye zaroori to nahi
Gazlon ka hunar saki ko sikhayenge
roange magar aansu nahi aayenge
Keh dena samandar se, Hum Oas ke moti hai
Dariya ke tarah tughse milne nahi Aayenge
Aachi surat ko sawarne ki zaroorat kya hai
Sadgi bhi to kayamet ke ada hoti hai
inki keemat, toh, wo pardeshi jaante hain,
Choot gayi rozi roti ki talaash me,
Sarzami jinki darbadar ho,
Banatey hai ghonsla kisi or saakh pe.
Par kya itnaa aasaan hota hai,
pardesh me ghar basaanaa.
Takleef toh wo hi jaanta hai
Choota hai jiska ghar gaon.
khuda tujhe mai nahi maanta.
Par fir bhi ek iltiza tujhse
Sab ko de roti apne hi gaon me .
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से hai
डरते हैं अब तो,
पास जाते उनके,
सुना है की,
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं.......
बालों की सफेदी से,
मौत भुलावे में,
कहीं भेज न दे बुलावा,
बोतलों में नहीं ,
वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....
कत्ल करने से गुरेज नहीं,
सजा का भी खौफ नहीं,
एक हाथ में खंज़र,
दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....
ये अलग बात है की देखते नहीं,
नजर भर में पलट दें , तख्त-ताज,
लफ्जों में क़यामत,
आँखों में सैलाब रखते हैं....
आदमियों की भीड़ में,
इंसानों की तलाश हुई मुश्किल,
इंसान की सूरत सा ,लोग,
चेहरे पर नकाब रखते हैं..
पूछकर जात -घराने मेरे,
सब लगे ऐब गिनाने मेरे,
छेड़ मत गम के फ़साने मेरे,
दर्द उभरेंगे पुराने मेरे,
जात फिर इल्म से बड़ी निकली,
काम ना आये बहाने मेरे,
चंद लम्हों की मुलाकातों में,
कैद लाखों हैं जमाने मेरे,
छाँव आँचल की जब मिली माँ की,
भर दिए जख्म, दुआ ने मेरे,
अश्क बरसे तो सब गुमान बहे,
घुल गए मैल ,पुराने मेरे,
इक सिफर आखिरात का हासिल था ,
रह गए , जोड़-घटाने मेरे,
जब से तू बस गया निगाहों में,
चूक जाते हैं निशाने मेरे,
शहर में घर , न गाँव में खेती,
है कहाँ ठौर, ठिकाने मेरे,
विप्लवी खोजते हुए खुशियाँ,
सब लुटे ख्वाब सुहाने मेरे
Muhabbat hue mohabbat ko apna samjha hum ne
Mohabbat main iskadar madhosh ho Gaye
Is ki bewafai ko wafa samjha hum ne?
Zakham iskadar mohabbat ne diye
Hum ne in zakhmo ko phool samjha
Mohabbat ki chik o pukaar iskadar thi
Ke ass pass ke logo ki roone ko asna samjha hum ne
Mohabbat ki shidat main aankhen iskadar chandiya Gaye
Har chamakti chiz ko sona samjha hum ne
Dewaana iskadar mohabbat ne bannaya humko
Ke apno ko begana samjha hum ne
Mohabbat ki yaadein dil par kuch you naksh kar Gaye.
Ke on ko bhulane ki khoshish main
Khod ko bhula diya hum ne..
नींद
और वो मेरे पायदाने में सिसक रही थी
मैं किसी और खयालो में डूबा हुआ था
नींद की बाहें मुझे दूंढ़ रही थी
जिसके खयालो ने मुझे अपने में डूबा लिया
उसका हाल न जाने कैसा था
पर मेरे खयालो में तो वही छाई थी
और
नींद ने भी अपना आशियाना शायद उसकी बाँहों में बना लिया
या
मेरी बेरुखी ही उसे वहा ले गयी
फिर
मैं एक दिन नींद की खोज में निकला
वो मिली
मैंने पुछा
तुम मेरे पास से क्यों चली गयी
उसने कहा
तुम तो हरदम उसके खयालो में खोये रहते हो
इसलिए तुम मुझे कहा मिलते हो
मैं जब भी तुम्हारे पास आती हूँ
तुम हमेशा वही चले जाते हो
मैंने भी थक हार कर सोचा
जो तुम्हे इतना प्रिये है
मैं भी उसी के पास चली जाती हूँ
शायद तब तुमको मैं पा सकूंगी
और मेरी किस्मत देखो
तुम अब मेरे पास ही आ गए
Wednesday, 26 August 2009
chandan das ki ek gazal
उम्र ऍसी है कि तुमको इक खिलौना चाहिए
मुझ को कहिए हाथ में मेंहदी लगाना है अगर
खूने दिल दूँ या कि फिर खूने तुमन्ना चाहिए
बज़्म मे आओ किसी दिन कर के तुम सोलह सिंगार
इक क़यामत वक़्त से पहले भी आना चाहिए
तुम कहो तो मर भी जाऊँ मैं मगर इक शर्त है
बस कफ़न के वास्ते आँचल तुम्हारा चाहिए
कल तलक था दिल जरूरी राह ए उलफत में मुराद
आज के इस दौर में चाँदी और सोना चाहिए
Tuesday, 16 June 2009
इतने पास रहते हैं वो?
हम उनके कोई नही,
क्यों हमारे सबकुछ,
लगते रहेते हैं वो?
सर आँखोंपे चढाया,
अब क्यों अनजान,
हमसे बनतें हैं वो?
वो अदा थी या,
है ये अलग अंदाज़?
क्यों हमारी हर अदा,
नज़रंदाज़ करते हैं वो?
घर छोडा,शेहेर छोडा,
बेघर हुए, परदेस गए,
और क्या, क्या, करें,
वोही कहें,इतना क्यों,
पीछा करतें हैं वो?
खुली आँखोंसे नज़र
कभी आते नही वो!
मूंदतेही अपनी पलकें,
सामने आते हैं वो!
इस कदर क्यों सताते हैं वो?
कभी दिनमे ख्वाब दिखलाये,
अब क्योंकर कैसे,
नींदें भी हराम करते हैं वो?
जब हरेक शब हमारी ,
आँखोंमे गुज़रती हो,
वोही बताएँ हिकमत हमसे,
क्योंकर सपनों में आयेंगे वो?
सुना है, अपने ख्वाबों में,
हर शब मुस्कुरातें हैं वो,
कौन है,हमें बताओ तो,
उनके ख्वाबोंमे आती जो?
दूर रेह्केभी क्यों,
हरवक्त पास रहेते हैं वो?
too dekh to apna hee aanchal'
shayad ho samayee koyee namee'
shayad ho samete ek bijlee.
chal kuch na sahee too hai badree !
kisee dhoop me koyee chaon sahee,
kisee rahee ko ek thaon sahee,
kisee sapne ka ek gaon sahee,
ummeed me uththa paon sahee,
jeevan ka antim daaon sahee !
bas dhoop me thodee chaon sahee .
अपनेही बंद आसमानोंकी,
जिसे बरसनेकी इजाज़त नही....
वैसेतो मुझमे, नीरभी नही,
बिजुरीभी नही,युगोंसे हूँ सूखी,
पीछे छुपा कोई चांदभी नही....
चाहत एक बूँद नूरकी,
आदी हूँ अन्धेरोंकी,फिरभी,
सदियोंसे वो मिली नही....
के मै हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी....
मेरे लिए तमन्नाएँ लाज़िम नही....
Friday, 12 June 2009
इंतज़ार
मुझे हर घड़ी किसी का इंतज़ार क्यूं है'
मैं हर रोज किसकी उम्मीद में दिन गुजारता हूँ
रातों को तन्हाई में किसी के आने की आस क्यों करता हूँ
मैंने तो अपने हर ओर एक दीवार खड़ी की है
इसको पार करने की किसी को इजाजत नहीं दी है
फिर इस दिल को किसी चाँदनी की चाहत क्यूं है
मैंने ख़ुद ही अपने दिल को दिमाग का गुलाम बनाया
फिर मुझे इस दिल की आजादी की चाह क्यों है
मैंने इन दीवारों को बहुत ही मजबूत बनाया
फिर भी मुझे इस्नके टूटने की हसरत क्यों हैं
यहाँ कौन किसी के लिए इंतज़ार करता है
फिर भी मुझे किसी का इंतज़ार क्यों है
दोस्ती
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में॥
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की।
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
यह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज॥
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में॥
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी॥
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में॥
कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी॥
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते है अलग-अलग॥
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में॥
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
Saturday, 9 May 2009
गुलदस्ता
सुकून बनकर दिल में उतर जाऊंगी,
महसूस करने की कोशिश कीजिये,
दूर होकर भी पास नज़र आऊंगी !
कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी,
बिना तेरे, बहुत रोती है ये आँखें मेरी,
कब से मेरी आंखों को नींद आती ही नहीं,
बाहें मांगती है मुझसे रातें तेरी,
जान आ जाओ के अब दिल कहीं लगता ही नहीं,
तुमको बुला रही है ये बाहें मेरी !
जुबां खामोश आंखों में नमी होगी,
यही तो बस दास्तान - ए- ज़िन्दगी होगी,
भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएगा,
पर कैसे भरेगी वो जगह,
जहाँ पर तुम्हारी कमी होगी !
आपके ख्यालों से फुर्सत नहीं मिलती,
एक पल की भी रुखसत नहीं मिलती,
मिल जाता है हमें सब कुछ,
बस देखने को आपकी सूरत नहीं मिलती !
आज तेरी यादों को सीने से लगा के रोये,
अपने ख्वाबों में तुझे पास बुलाके रोये,
हजारों बार पुकारा तुझे तन्हाइयों में,
और हर बार तुझे पास न पाकर रोये !!
तुम्ही हो न वो जिसके लिये मैं शाम-सुबू जिया,
तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !
हर शाम कह जाती है एक कहानी,
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी,
रास्ते तो बदलते हैं हर दिन लेकिन,
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !
शब्दों में दर्द, दिल में ज़ख्म,
आंखों में नहीं कोई आशा,
अलग नहीं उत्सव, मातम
खुशी या निराशा,
न कुछ खोने की,
न कुछ पाने की अभिलाषा,
फिर भी आज है कोई,
तेरे इश्क का प्यासा !
तेरे उस दिलकश चेहरे का,
तेरे संग बिताये हुए हसीन लम्हों का,
तेरे बेपनाह मोहब्बत का,
तेरे होठों के मीठे चुम्बन का,
मेरे रोम रोम में तेरा ही नशा छाया है,
बिन तेरे अब ये दिल एक पल न सुकून पाया है,
बस एक तू ही है जिसे मैंने अपनी जान से भी ज़ादा चाहा है,
ऐ मेरे जानम अब तू ही मेरी जीने की वजह है,
तुझी से ज़िन्दगी का आगाज़ और...
तुझी पे मर मिटने की तमन्ना है !!
न तस्वीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाए,
न तुम पास हो जो प्यार किया जाए,
ये कौन सा दर्द दिया है आपने,
न कुछ कहा जाए, न तुम बिन रहा जाए!
मिटटी से हवा आने लगी अभी अभी,
क्या आपने याद किया अभी अभी?
आपसे कब मिलेंगे पता नहीं,
फिर भी यूँ लगता है आप मिलकर गए अभी अभी !
भूल अगर कोई हो गई हो हमसे,
रूठकर ना रुखसत हो जाना मुझसे,
भूल समझकर भूल को माफ़ कर देना,
भूल के भी हमें न भुलाना !
वो पहली मुलाकात, वो पहली मुस्कराहट,
वो पहली गुफ्तगू, वो हसीन पल,
वो अपनापन, वो चाहत का एहसास,
वो दिल की तड़प, वो नायाब यादें,
बस इन्ही यादों के सहारे जी रहे हैं हम,
और इन्ही पलों के लिए मर मिट सकते हैं हम !
दिल की हालत की तरफ़ किसकी नज़र जाती है,
प्यार की उमर तमन्नाओ में गुज़र जाती है,
मैं रो पड़ती हूँ जब याद तुम्हारी आती है,
ज़माना हँसता है जब मोहब्बत रूठ जाती है !
वो नहीं है साथ हमारे पर आज भी है उनका नशा,
न बचे सुर, न बचे शब्द पर आज भी है एक नगमा,
आज भी है राहें, आज भी एक मंजिल, जुदा हो गए हमराह,
न बचा जिस्म, न बचा जिगर, पर आज भी है एक आह !!
आपके प्यार ने ज़िन्दगी को एक मकसद दिया है,
हर सुख दुःख में मैंने आपका एहसास किया है,
जब भी झपके पलक आपकी तो समझ लेना,
आपकी जान ने आपको याद किया है !!
हम अपनी दोस्ती को यादों में सजायेंगे,
दूर रहकर भी बंद आंखों में नज़र आयेंगे,
हम कोई वक्त नहीं जो बीत जायेंगे,
जब याद करोगे तब चले आयेंगे !!
लबों पे आज उनका नाम आ गया,
प्यासे के हाथ जैसे जाम आ गया,
डोले कदम तो गिरा उनकी बाँहों में जाकर,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया !
कितनी जल्दी मुलाक़ात गुज़र जाती है,
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
चाहत है आपकी चाहत को पाने की,
चाहत है चाहत को आजमाने की,
आप चाहे न चाहे पर,
चाहत है आप की चाहत में मिट जाने की !!
तन्हाइयों में तुमको ही याद करते हैं,
तुम सलामत रहो यही फरियाद करते हैं,
हम तुम्हारे ही मोहब्बत का इंतज़ार करते हैं,
तुम को क्या पता हम तुमको कितना प्यार करते हैं !
चाह था जिसे उसे भुलाया न गया,
ज़ख्म दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करता है दिल उसे,
की बेवफाई का इल्जाम भी उस पर लगाया न गया...
एक शमा अंधेरे में जलाये रखना,
सुबह होने को है माहौल बनाये रखना,
कौन जाने वो किस गली से गुज़रे,
हर गली को फूलों से सजाये रखना !
काश ऐसा हो के तुमको तुमसे चुरा लूँ,
वक्त को रोककर वक्त से एक दिन चुरा लूँ,
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूँ,
तुम साथ हो तो ये जहाँ चुरा लूँ !
थक गए हम उनका इंतज़ार करते करते,
रोये हज़ार बार ख़ुद से टकरार करते करते,
दो लफ्ज़ उनकी जुबां से न निकले और,
टूट गए हम एक तरफा प्यार करते करते !
ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं,
प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं,
मिलने की उमंग बहुत होती है दिल में लेकिन,
मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं !
मांगी थी दुया आशियाने की,
चल पड़ी आंधियां ज़माने की,
मेरे गम कोई न समझ सका,
क्यूंकि मेरी आदत थी मुस्कुराने की !
फूल खिलते हैं, बहारों का समा होता है,
ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवा होता है,
दिल की बातों को होठों से नहीं कहते,
ये अफसाना तो निगाहों से बयान होता है !
वो तो पानी की बूँद है जो आंखों से बह जाए,
आंसू तो वो है जो आंखों में ही रह जाए,
वो प्यार क्या जो लफ़्ज़ोह में बयान हो,
प्यार तो वो है जो आंखों में नज़र आए !
मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल है,
पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं,
कहते हैं मिलती है मोहब्बत में बहुत उल्फतें,
पर आप हो महबूब मेरे तो सब कुबूल है !
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाहों को इकरार कहते हैं,
सिर्फ़ जताने का नाम इश्क नहीं,
किसीको यादों में जीने को भी प्यार कहते हैं !
चाहा था जिसे उसे भुलाया न गया,
ज़ख्म दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करता है दिल उसे,
के बेवफाई का इल्जाम भी उस पर लगाया न गया !
आज फिर तेरी याद आयी बारीश को देखकर,
दिल पे ज़ोर न रहा अपनी बेबसी को देखकर,
रोये इस कदर तेरी याद में,
के बारीश भी थम गयी मेरी बारीश देखकर !
साहिल पर खरे खरे हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आपके नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुजरेगी ज़िन्दगी,
बिना सोचे समझे हर खुशी आपके नाम कर दी!
तुझे अपना मुकद्दर बताते हैं हम,
खुदा के बाद तेरे आगे सर झुकाते हैं हम,
ये रिश्ता कभी तोर न देना,
जिस रिश्ते के दम पर मुस्कुराते हैं हम !
चेहरे पे हँसी छा जाती है,
आंखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
आँखें मेरी शर्मा ही जाती है !
ज़िन्दगी शुरू होती है रिश्तों से,
रिश्ते शुरू होते हैं प्यार से,
प्यार शुरू होता है अपनों से,
और हम शुरू होते हैं आपसे!
समंदर के साथ साहिल,
फूल के साथ खुशबू,
जिस्म के साथ रूह,
शमा के साथ परवाना,
खुशी के साथ गम,
और आपके साथ हम..!
क्यूँ नजरे चुराए बैठे हो,
क्यूँ दिल को दबाये बैठे हो!
अरे हम इतने भी बुरे नहीं,
जो जनाब हमे भुलाये बैठे हो...!
ये तन्हाईयाँ जो सजी है तेरे ख्यालों से,
इनसे ये रात यूँही सजती रहे,
ये अकेलापन जो तुमसे दूरी का एहसास है,
ये दूरियां तेरे दीदार की उम्मीद से सजती रहे!
कुछ बीते हुए लम्हों से मुलाकात हुई,
कुछ टूटे हुए सपनों से बात हुई,
याद जो करने बैठे उन तमाम यादों को,
तो आपकी यादों से शुरुयात हुई !
हर इश्क का मतलब गम नहीं होता,
दूरियों से प्यार कम नहीं होता,
वक्त बेवक्त हो जाती है आखें नम,
क्यूंकि यादों का कोई मौसम नहीं होता !
दिल ने दिल को पुकारा है,
होठों पर नाम तुम्हारा आया है,
दिल की चाहत ने पुकारा है,
आखों के सामने चेहरा तुम्हारा आया है,
मुझे पता है के तुम आओगे,
बार बार ख्याल मन् में आया है !
हर लम्हा एक ख्याल,
हर ख्याल एक सवाल,
हर सवाल एक जवाब,
हर जवाब एक उम्मीद,
हर उम्मीद एक सपना,
हर सपना एक अरमान,
हर अरमान एक याद,
हर याद में सिर्फ़ और सिर्फ़ आप!!
इस कदर हमारी चाहत का इम्तीहान मत लीजिये,
क्यूँ हो खफा ये बयान तो कीजिये...
कर दीजिये माफ़ अगर हो गई कोई खता,
यूँ ही याद न करके सज़ा तो न दीजिये...!!!
तेरे हर अल्फाज़ में वो कशिश है,
जो मेरे रूह को महका जाता है,
तुझे उम्र भर पाने की ख्वाइश है,
ये मेरा जूनून नहीं बेपनाह मोहब्बत है!
इकरार में शब्दों की एहमीयद नहीं होती,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती,
आँख बयां कर देती है दिल की दास्ताँ,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती!
लम्हे ये सुहाने साथ हो न हो,
कल में आज जैसी बात हो न हो,
आपकी दोस्ती हमेशा इस दिल में रहेगी,
चाहे सारी उम्र मुलाकात हो न हो!
ए जानेमन, तू ही है मेरा तनमन,
तुझी से जुरा है मेरे दिल की धड़कन,
ये दिल पुकार रहा है सिर्फ़ तुझे,
आकर अपनी आहोश में ले ले मुझे!!
मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं,
प्यार सिर्फ़ पाने का नाम नहीं,
मुद्दत बीत जाती है किसीके इंतज़ार में,
ये सिर्फ़ एक पल दो पल का काम नहीं!!
सिर्फ़ चाहने से कोई बात नहीं होती,
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती,
हम चाहते हैं जिन्हें जान से भी जादा,
वो सामने है पर बात भी नहीं होती!
तुम मुझे भूल न पाओगे,
इस कदर हम तुम्हें याद आयेंगे...
यकीन न आए तो आईने में देखना,
तेरी आंखों में हम नज़र आयेंगे!
राह में जब तुमसे निगाहें टकराई,
दिल में मेरे हलचल सी मच गयी,
कैसे बताऊँ उस पहली मुलाकात का अंजाम,
तुम्हारे एक दीदार के इंतज़ार में मैं हो गयी गुमनाम!
काश! ये जालिम जुदाई न होती,
रब्बा तूने ये चीज़ बनाई न होती!
न हम उनसे मिलते न प्यार उनसे होता,
तो ये ज़िन्दगी जो अपनी थी, वो परायी न होती!
लहर आती है, किनारे से पलट जाती है,
याद आती है, दिल में सिमट जाती है,
दोनों में फरक सिर्फ़ इतना है,
लहर बेवक्त आती है, और याद हर वक्त आती है!
फिजा में महकती एक शाम हो तुम,
प्यार में छलकता जाम हो तुम
सीने में छुपाये फिरते हैं हम याद तुम्हारी,
मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम!
सोचा न था की कभी दोस्ती होगी
दिल जिसके लिए रो सके वैसी उल्फत होगी
अब जन्नत की गलियों का रास्ता क्यूँ देखूं
जहाँ तुम हो वहीँ से जन्नत शुरू होगी॥!!
ओस की बूँदें हैं, आखों में नमी है,
न ऊपर आसमान है और न नीचे ज़मीन है,
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग खास है बस उन्ही की कमी है!
रातें गुमनाम होती है,
दिन किसीके नाम होता है,
हम ज़िन्दगी कुछ इस तरह जीते हैं,
हर लम्हा आप ही के नाम होता है!
उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थी
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी
मन् की गहराई में डूबी देखती रही
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी!
एक फूल काफी है कबर पर चढाने को,
हजारों फूल कम है डोली सजाने को,
हजारों खुशियाँ कम है एक गम भुलाने को,
और एक गम काफी है ज़िन्दगी भर रुलाने को!
आज ये कैसी उदासी छाई है
तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है,
रोया है फिर दिल मेरा
नजाने आज किसकी याद आई है!
रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई
दिन तो गुज़र ही जाता है लोगों की भीर में,
करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई!
तेरी वफ़ा ने मुझे ख़ुद और सितम करने न दिया
जो आए पलकों पर मोती उन्हें झरने न दिया
मैंने समझा है खुदको सदा अमानत तेरी,
इसी ख्याल ने मुझको कभी मरने न दिया!
चिरागों से अंधेरे दूर हो जाते
तो चाँद की चाहत हमें न होती
अगर कट सकती यह ज़िन्दगी अकेले
तो हमें आपकी ज़रूरत नहीं होती!
वादा किसीसे करने की ज़रूरत ही क्या थी जो निभा न सके,
किया ही क्यूँ था प्यार जब जता न सके,
यूँ तो बातें बहुत बड़ी की थी तुमने,
पर ऐसा सफर कैसा जो साथ उमर भर चल न सके!
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाह को इकरार कहते हैं,
सिर्फ़ पाने का नाम इश्क नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं!
कैसे कहूं की अपना बना लो मुझे
बाँहों में अपनी समां लो मुझे
बिन तुम्हारे एक पल भी अब कटता नहीं
तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे
ज़िन्दगी तो वो है संग तुम्हारे जो गुज़रे
दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे
मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी
तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे
ये कैसा नशा है जो बहका रहा है
तुम्हारा हूँ मैं तो संभालो मुझे
नजाने फिर कैसे गुजरेगी जिंदगानी
अगर अपने दिल से कभी तुम निकालो मुझे
सभी नगमें साज़ में गाये नहीं जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते!
दिल के करीब आके वो जब दूर हो गए,
सारे हसीन ख्वाब मेरे चूर हो गए,
हमने वफ़ा निभाई तो बदनामियाँ मिली,
जो लोग बेवफा थे वो मशहूर हो गए!
बहुत चाहा पर उनको भुला न सके,
ख्यालों में किसी और को ला न सके,
उनको भुलाके आसूं तो पोंछ लिए,
पर किसी और को देखकर मुस्कुरा न सके!
कभी दिल को, कभी शमा को जलाकर रोये
तेरी यादों को सीने से लगाकर रोये...
रात की गोद में जब सो गई दुनिया सारी,
तो चाँद को तस्वीर बनाकर रोये !
सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार
आनेवाला हर दिन लाये खुशियों का त्यौहार
इस उम्मीद का साथ आओ भूलके सारे गम
न्यू इयर २००९ को हम सब करे वेलकम
कल हो आज जैसा
महल हो ताज जैसा
फूल हो गुलाब जैसा
और...
ज़िन्दगी के हर कदम पे साथ हो
साथ हो आप जैसा
बेताब तमन्नाओ की कसक रहने द्दो
मंजिल को पाने की झलक रहने द्दो
आप भले ही रहो दूर नज़रों से
पर बंद पलकों में अपनी झलक रहने द्दो
खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाउंगी
सुकून बनकर दिल में उतर जाउंगी
ज़रा महसूस करने की कोशिश कीजिये
दूर होकर भी पास नज़र आउंगी
दोस्ती है वो चिराग
जो जलता ही रहेगा
बुझाना चाहे ज़माना
पर बुझा न सकेगा
ढलती शाम है तनहा,
आँखों में प्यास है,
बिना तुम्हारे हर एक लम्हा,
जिन्दगी कितनी उदास है !
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है
फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा
अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा
क़यामत तक तुझे याद करेंगे
तेरी हर बात पर ऐतबार करेंगे
तुम्हे कुछ कहने को तो नहीं कहेंगे
फिर भी तुम्हारे कुछ कहने का इन्तजार करेंगे
रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल न जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है :
दोस्ती मौसम नहीं, कि अपनी मुद्दत पूरी करें और रुखसत हो जाएँ.
दोस्ती सावन नहीं, कि टूट कर बरसे और थम जाए,
दोस्ती आग नहीं, कि सुलगे भड़के और बुझ जाए,
दोस्ती आफताब नहीं, कि चमके और डूब जाए,
दोस्ती फूल नहीं, कि खिले और फिर मुरझा जाए,
दोस्ती तो सांस है जो चले तो सब कुछ टूट जाए तो कुछ भी नहीं ...........
Saturday, 28 March 2009
तेरे दीदार की एक तमन्ना
आंसूओ के जाम पिए जा रहा हूँ , दिल के दिल के टुकड़े सिये जा रहा हूँ
तेरे दीदार की एक तमन्ना लिए हर रोज़ मैं मरकर जिए जा रहा हूँ
किए जा रहा तेरे नामो के सजदे उन वादों का गजरा बुने जा रहा हूँ
बीती यादों की छोटी सी गठरी बनाये अपनी किस्मत समझ लिए जा रहा हूँ
सहे जा रहा इस दुनिया के ताने अपने आप से ख़ुद ही लरे जा रहा हूँ
इस इंतज़ार की मीठी चुभन लिए थोड़ा और इंतज़ार किए जा रहा हूँ
मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ
वो क्या दिखायेंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नहीं है!!
ये आप नजरे बचा बचा कर अब और क्या देखते है मुझको
तुम्हारे काम आ सके तो ले क्यों हमारे जी का मकाम नहीं है
मैं शर रतो की तलाश में हूँ मगर ये दिल मानता नहीं है
मगर गमे जिंदगी न हो तो जिंदगी का मज़ा नहीं है
मिला आइना है तुम अपनी सूरत सवार लो और ख़ुद ही देखो
जो नुख्स होगा दिखाई देगा ये बेजुबान बोलता नहीं ही
Wednesday, 18 March 2009
ये दुआ माँगो दिलों में रोशनी बाकी रहे।
दिल के आँगन में उगेगा ख्वाब का सब्जा जरूर
शर्त है आँखों में अपनी कुछ नमी बाकी रहे।
हर किसी से दिल का रिश्ता काश हो कुछ इस तरह
दुश्मनी के साए में भी दोस्ती बाकी रहे।
आदमी पूरा हुआ तो देवता बन जाएगा
ये जरूरी है कि उसमें कुछ कमी बाकी रहे।
लब पे हो नगमा वफा का दिल में ये जज्बा भी हो
लाख हों रुसवाइयां पर आशिकी बाकी रहे।
दिल में मेरे पल रही है ये तमन्ना आज भी
इक समंदर पी चुकूं और जिन्दगी बाकी रहे।
Wednesday, 11 March 2009
दिल की हसरतें
चाहा था बस थोडी सी खुशी मिलती
वो चंद खुशिया भी हमें अलविदा कह गयी
यूं लगता है ज़माने की नज़र लग गयी
ज़िन्दगी में हर कदम पर धोखा खाया
जो चाहा था वो कभी ना पाया
हमारी किस्मत भी हमें दगा दे गयी,
अब तो दिल एक ख्वाहिश से भी डरता है
हर घड़ी हर पल हर साँस के साथ मरता है
वो तेरे पास न होना
वो तेरा पास न होना बहुत मुझ को रुलाता है
वो मेरा तेरी आंखों के समंदर में उतर जाना
और तेरी मुस्कराहट के भंवर में डूबते जाना
तेरी आवाज़ के असर से न निकल पाना
तुझ को देखना और बे-खुदी से देखते जाना
बहुत चाहा इन गुज़रे हुए लम्हों को न सोचूँ
न तेरी याद में रह के तेरे साथ का सोचूँ
भूला दूँ सारी यादों को के जिन से दिल तडपता है
के जिन से तीस उठती है के जिन से दर्द होता है
मगर जब रात आती है तो तेरी याद आती है
तेरे ही ख्वाब होते है तेरी ही बात होती है
तुझे जब याद करते है तो दिल अपना तड़पता है
वो तेरे पास न होना बहुत महसूस होता है
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है
गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तेहान के दौर से
एक ख़तम हुआ तो दूसरा तैयार मिला है
मेरे दामन को खुशियों का नही मलाल
ग़म का खजाना जो इसको बेशुमार मिला है
वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है
कल की रात
कितनी मुश्किल से कटी कल की मेरी रात न पूँछ
दिल से निकली हुई होंटों में दबी बात न पूछ
वो किस अदा से मेरे सामने से गुजरा अभी
किस तरह मैने संभाले मेरे जज़्बात न पूछ
वक्त जो बदले तो इंसान बदल जाते है
क्या नही दिखलाते यह गर्दिश-ऐ-हालात न पूछ
वो किसी का हो भी गया और मुझे ख़बर नही
किस तरह उसने छुडाया है मुझ से हाथ न पूछ
इस तरह पल में मुझे बेगाना कर दिया उसने
किस तरह अपनों से खाई है मैने मात न पूछ
अब तेरा प्यार नही है तो सनम कुछ नही
कितनी मुश्किल से बनी थी दिल की काएनात न पूछ
बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे
बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे,
तब तो सिर्फ खिलोने टूटा करते थे
वो खुशिया भी ना जाने कैसी खुशियाँ थी,
तितली को पकड़ के उछला करते थे,
पाव मार के खुद बारिश के पानी में,
अपने आप को भिगोया करते थे
अब तो एक आंसू भी रुसवा कर जाता है,
बचपन में तो दिल खोल के रोया करते थे
बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे,
Sunday, 22 February 2009
जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के जज्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सदियों लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का अहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिल में झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चो से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊ या lanka का रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ , या दिल का सारा प्यार लिखूँ
Saturday, 31 January 2009
किसी की याद
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही
Wednesday, 14 January 2009
एक हारने वाले की व्यथा
ख़ुद से भागता हुआ , ख़ुद से हारा हुआ
कहीं किसी और के पास अपनी खुशी को तलाशता हुआ
अपने हर तरफ उसे नजर आता था
हार का महासागर लहराता हुआ
लेकिन जीत की इच्छा अपने मन में लिए
वो अपनी हर हार में जीत को तलाशता रहा
उसे मिली जीत हर बार टुकडो में
वो तलाशता रहा इसे पूरे में
फिर एक दिन
उसे हार - जीत में मजा आने लगा
अधूरापन उसके मन को भने लगा
उसके जीवन में बदलाव आने लगा
अचानक उसे उसकी पूर्णता नजर आने लगी
खुशी उसके कदम चूमने लगी
लेकिन ,
वो फिर भागने लगा
अपनी जमीन से दूर, चाहतो से दूर
चाहने वालो से दूर
उसे लगा, यह एक छलावा है भूलभुलैया है
हारना ही उसकी नियति है
ये जीत उसके जीवन में किधर से आ रही है
समय के इस मोड़ पर खड़ा वह
ख़ुद से यह सवाल कर रहा है
मैं भ्रमित क्यों हूँ, मुझे हार ही क्यो मिलती है
लेकिन चारो तरफ के सन्नाटे से
कोई जवाब नही आता
जीत उसके लिए बनी ही नही शायद,
वह कल भी हारा था,
वह आज भी हारेगा शायद
लेकिन इस हार के बावजूद वह फिर भागेगा
शायद अपने आप के लिए या अपनी खुशी के लिए
उसे मालूम है की हारना ही उसकी नियति है
पर यही हार एक दिन,
जीत का दीदार कराएगी
उसकी नियति में हारना ही हो
लेकिन जीत की उसकी इच्छा जिन्दा रहेगी
शायद यही उसकी जीत है
या,
हार के आगे सम्पूर्ण समर्पण
या यही उसकी जिन्दगी है शायद
एक खवाब ये देखा जाए
कैसे हो ख़ुद से ये पुछा जाए
नहीं दीखता बहुत करीब से भी
तुमको कुछ दूर से देखा जाए
नही मिलती कोई जगह ऐसी
जहाँ जाकर तुम्हे सोचा जाए
सबको ख़ुद ही तलाशनी मंजिल
जाते राही को ना रोका जाए
घर तो अपना सजा लिया ऐ साहिल
दिल के जालो को भी झाडा जाए
Thursday, 25 December 2008
कुछ तो था कुछ तो है
कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती
यूँ बरस गुज़रते हैं
तेरे लिए तड़पते हैं
तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन
कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…
तुमको पाना है मुझे
मुझको अपनाना है तुझे
ग़म ख़ुशी बन जायेगा
दोनों को क़रीब लायेगा
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती…
ख़ाब सच हो जायेंगे
हम-तुम मिल जायेंगे
प्यार होगा दरम्याँ
तेरी आँखों में मेरा जहाँ
कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…
यह मौसम भी तुम हो
यह सावन भी तुम हो,
तुम हो… मेरे लिए…
मेरे सनम भी तुम हो
कोई जगता है रातों में, ख़ाबों के बीज बोता है
यह बदली भी तुम हो,
तुम बूँदों में बरसती हो…
यह रिमझम भी तुम हो
मन है उदास तेरे लिए, मगर रूखा नहीं
यह लगन भी तुम हो,
तुम हो मन-दरपन…
मेरा दरपन भी तुम हो
तुम आ रही हो, मुझको ढूँढ़ते-पुकारते हुए
यह धड़कन भी तुम हो,
तुमसे है मेरा यौवन…
मेरा यौवन भी तुम हो
मैं तेरा प्यार हूँ, आवारा न समझ मुझे
यह सावन भी तुम हो,
तुम हो… मेरे लिए…
मेरे सनम भी तुम हो
तेरे चेहरे पर अपनी नज़र ढूँढ़ते हैं
हम अपनी दुआ में असर ढूँढ़ते हैं
तुम देखकर हँसते हो मुझे और हम
तेरे चेहरे पर अपनी नज़र ढूँढ़ते हैं
कौन दूसरा होगा हम-सा सितम-परस्त
हम अपना-सा कोई जिगर ढूँढ़ते हैं
जो राह मंज़िल तक पँहुचती होगी
तेरी चाहत में ऐसी रहगुज़र ढूँढ़ते हैं
धूप छुप गयी है कोहरे से भरी वादियों में
और हम हैं कि तेरा नगर ढूँढ़ते हैं
तुमने कहा नहीं कि कब आओगे तुम
हम तुझे अपनी राह में मगर ढूँढ़ते हैं
Sunday, 14 December 2008
पत्थर पे पत्र
तुझे
कैसी हरियाली
तेरे आँचल में
सुना बहुत
मौका मिला
देखेंगे हम
सूना शहर
हर शाम को
सपनों में, पर
दो मुझे आँख
हाथ औ, दिल
मैं लिख सकूँ
पत्थर पे पत्र
तेरे नाम
हम भी देखें
सर्प सी
पगदंदिया
और याद आ जाए हमें
जीवन की राह
शायद सुनें हम कूक
तो भूलें
हम आह, शायद
दिन में हो रात
सूरज या चाँद?
सोचेंगे दाल के
हम पैर झरने में
किसी निस्तेज
हम भी देखें
चढ़ के किसी पहाड़ पे
गहरी घटी
और सहम मर
हम कुछ और
सरक जाए
तेरे करीब
कुछ ख्वाब बुनें
हम भी देखें
कोई आवारा बादल
लुप्त सा होता हुआ
डाली में फंसकर
जो लोटता
जा रहा
अपनत्व अपना
थोड़ा रोकर
और, थोड़ा सा
विहंसकर
हम भी देखें
पलकों के तले
बिखर जाना
यूँ ही कुछ
दूर तक
पत्तो की मानिंद
बन के हवा
हम भी कुछ
दूर बहे
पत्थर बनके कुछ चोट तेरी
हम भी सहें
नदीं के बीच पड़े रेत से
कुछ धुप गहें
मगर मैं भूल
गया साँस आखिरी है
मेरी, मैं तो बस
जाल में ही रह
गया हूँ
जो बुना था
मैंने अपने तार से
मुझको है संतोष
की एक
सूरज की
किरण
आ रही है
सामने
दरार से !
Saturday, 13 December 2008
हम
जब हम हुए
वो मोगरा हरसिंगार सी
तुम्हारी खुशबू
खिलते कमल सी हंसी
सुबह की ओंस में
डूब से नम हुए
मैं और तुम
जब हम हुए
पीपल के पत्तों पर मेंहदी
जैसे तुम्हारे हाथ
चेरी के रंग जैसे होंठ
पछवा हवा से साँसें
फासलें कितने कम हुए
मैं और तुम
जब हम हुए
उंगलिया छुई-मुई सी
लौट लौट गयी हथेलियों में
पलकों के घूंघट में बंद
रही तुम्हारी चाहत
फ़िर हम ही तो बेशरम हुए
मैं और तुम
जब हम हुए
मानसूनी बादलों सी जुल्फें
दांत बिजली की चमक
बातें सावनी रिमझिम
तुम हमारी इबादत
हमारे धरम हुए
मैं और तुम
जब हम हुए
बहुत मुश्किल है
महसूस नहीं कर सकते
आसानी से
क्योकि मैं
सूखी घास नही हूँ
जिसकी गर्मी
पाने के लिए
दो पत्थरों
रगड़ना ही काफी हो
मैं तो
बुझे से दिखने वाले
अंगारों का ढेर हूँ
जो सहर तक
आग संभाल
सकते है
जानों की जो राख
ओढ़ लेते है
वो जल्दी राख नहीं होते
प्रार्थना
पर तू है मालिक दुनिया का क्या तुझको कह सकते है
जिसके लिए हम जिन्दा थे रहता था जो इस दिल में
अपनी हिम्मत देखो उस बिन भी हम रह सकते है
तुझसे डरते थे हम हरदम तेरा गुन गाते थे
आंसू कुछ कम कर ले भगवन हम अब बह सकते है
तूफानों के दौर बिजलियों के आघात को कम कर
रेत बचा है दीवार में ये घर ढह सकते है
तेरी दया किहमने कमी वैसे महसूस नहीं की
पर दर्द के ऐसे तीखे वारो को क्या कह सकते है
Sunday, 7 December 2008
तेरे ख्यालो से
मुझे हर आहट पे लगे शायद मिलने तू आयी है
है ये लहराती ठंडी हवा या आँचल उड़ता तेरा
खुशबु तेरी हर सूँ छाई है ....................
अय हँसी
तू ही मेरी साँसों में है घुली तू ही मेरी आंखों में है बसी मेहरून महजबीं
सच तो ये है के देखू कही लगता है मुझको तू है वही
रंग है जितने तू ही लाई है ..............................
कहानी
नींद इन आंखों से चुराई जाए है
हमे मालूम है इसका भी अंत दर्द होना है
क्यूँ एक खुशी दिल के करीब लाई जाए है
मैं हूँ शोलो का दीवाना तपिश से प्यार है मुझको
ए शबनम ठहर जा आंखों में नमी आए जाए है
चंद अशआर, कुछ आंसू धड़कता हुआ एक दिल
मुद्दतो बाद ए दौलत कमाई जाए है
जाऊं कहाँ इस गली में पशोपेश में हूँ अनिल
कभी जनाजा जाए है कभी शहनाई जाए है
Saturday, 6 December 2008
कटी पतंग
कलम को दर्जे गम मरने का कुछ ढंग ही आए
इस कदर मासूमियत किस काम की है दोस्त
करीब जब भी आए दूरियों के संग ही आए
खुदा जाने ये किसने लिख दिया छत के नसीब में
जब आए तो फ़कत एक कटी पतंग ही आए
करें चर्चा क्या उसकी अंदाजे बयानी का
जिसकी हँसी के सामने जलतरंग ही आए
एक तरफ़ फ़र्ज़ है रोज़गार है प्यार है एक ओर
अब इस कशमकश से हम अनिल तंग ही आए
क्या चाँद मेरा है
क्या ये चाँद मेरा है
पर वो चाँद
जो किसी सूरज की रौशनी से इतरा रहा
उसे क्या मालूम
कोई दूर खड़ा
एक कोने से उसे निहार रहा
पर क्या वह उसे बता सकेगा
तुम्हारी चाँदनी मेरे अन्दर मे उजाला कर रही है
मुझे जीने का सहारा दे रही है
वह अंधेरे कोने में खड़ा हो के यह सोच रहा
क्या चाँद यह समझ सकेगा
कोई एक अपने अन्दर असीम उत्साह लिए
यह सोच रहा की
क्या यह चाँद मेरा होगा
लेकिन
क्या वह उजाला सह सकेगा
शायद नही
उसे चाँद चाहिए
लेकिन वह अपने अंदर के अंधेरे से डरता है
शायद यही अँधेरा उसकी नियति है
वह सूरज से लड़ सकता है
पर
चाँद की चाँदनी उसे जला रही है
वह चाँद के पास नही जाता
शायद उसे डर है
उसके मन मे एक सवाल है
क्या चाँद उसे अपना अँधेरा भी देगा
या वह कुछ पाने की अभिलाषा लिए
यूँ ही इस जहा से चला जाएगा
प्यार
चंडी का यह देश यहाँ के छलिया राजकुमार
किसे यहाँ अवकाश सुने जो तेरी करून कराहे
तुझ पर करे बयार यहाँ सूनी है किसकी बाँहे
बादल बन कर खोज रहा है तू किसको इस मरुस्थल में
कौन यहाँ व्याकुल हों जिसकी तेरे लिए निगाहें
फूलो की यहाँ हाट लगी है मुस्कानों का मेला
कौन खरीदेगा यहाँ तेरे सूखे आंसू दो चार
सोच समझ कर करना पंथी यहाँ किसी से प्यार
मेरा कच्चा आँगन
अपने सपनो का आकाश
अब बोओं तुम बीज
भरो तुम रंग
इन्द्रधनुष के ....
चाँदनी के .............
अमावस के..............
या फिर मेरे-तुम्हारे
फिर जियो तुम और पियो तुम
लौटा नही सकते तुम मुझे
मेरे हिस्से के जमीं अम्बर
क्योकि अब मैं नहीं हूँ...............
मैं तो हो गयी हूँ तुम............
आती है ना तुम्हे
महक मेरे कच्चे आँगन की
अपने दिल से ..................
प्रतीक्षा के पल
प्रतीक्षा के पल फिर कहा किस ओर ......
चेहरे पर अरुणाई खिल जाती है
धड़कने स्पंदन बन मचल जाती है
यादों की बारिश में नाचे मन मोर...............
कब तनहा हूँ जब साथ तुम हो बन परछाई
साथ देख कर तुम्हारा खुदा भी मांगे मेरी तन्हाई
मेरे हर क्षण को सजाया तुमने चितचोर...............
मेरे संग चाँद भी करता रहता है इंतज़ार
तेरी हर बात को उससे कहा है मैंने कितनी बार
फिर भी सुनता है मुस्कुरा कर, जब तक न होती भोर.................
तुम्हारे लिए हूँ मैं शायद बहूत दूर
तुम पर पास मेरे जितना आँखों के नूर
मेरी सांसो को बांधे तेरे स्नेह की डोर ...................
खुश रहो
ऑफिस में खुश रहो, घर में खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
आज पनीर नहीं है , दाल में ही खुश रहो ...
आज जिम जाने का समय नहीं , दो कदम चल के ही खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
आज दोस्तों का साथ नहीं, टीवी देख के ही खुश रहो ...
घर जा नहीं सकते तो फ़ोन कर के ही खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो ...
जिसे देख नहीं सकते उसकी आवाज़ में ही खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
जिसे पा नहीं सकते उसकी याद में ही खुश रहो
Laptop न मिला तो क्या , Desktop में ही खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
बिता हुआ कल जा चूका है , उसकी मीठी यादों में ही खुश रहो ...
आने वाले पल का पता नहीं ... सपनो में ही खुश रहो ...
ჯહઔહჯ═══■■═══ჯહઔહჯ
हँसते हँसते ये पल बिताएँगे, आज में ही खुश रहो
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो
Friday, 5 December 2008
किसी ने किसी की तरफ़ नही देखा
जिसे तलक थी उसी की तरफ़ नही देखा
तमाम उम्र गुजारी ख़याल में जिसके,
तमाम उम्र उसी की तरफ़ नही देखा
जो आईने से मिला आइना तो झुंझलाया'
किसी ने अपनी कमी की तरफ़ नही देखा,
सफर के बीच ये कैसा बदल गया मंजर,
की फ़िर किसी ने किसी की तरफ़ नही देखा,
Thursday, 13 November 2008
कोई तो होता
मैं जिस के दिल की किताब बनता
मैं जिस की चाहत का खवाब बनता
मैं ठंडे मौसम की लम्बी रातों में
यादें बन कर अजाब बनता**
कोई तो होता जो मेरी ख्वाइश में उठ कर रातों को खूब रोता
दुखो की चादर लपेट कर हजूम दुनिया से दूर होता
मैं रूठ जाता वो मनाता मुझ को चाहे कसूर मेरा होता
कोई तो होता?
शिकायत भी बहुत है
इस दिल को मगर उनसे मोहब्बत भी बहुत है
आ जाते है मिलने वो तसव्वुर में हमारी
एक शख्स की इतनी सी इनायत भी बहुत है
तन्हा सी जिंदगी
दोस्तों यारो से जैसे टूटा हो वास्ता,
सभी हैं साथ पर नजाने किसकी कमी है,
इतनी खुशियों में नजाने कैसी गमी है।
क्यो पतझड़ में सावन का दीदार करता हूँ,
क्यो हर घड़ी सिर्फ़ तेरा इंतज़ार करता हूँ,
तू कौन है कहा है, इस सब से अनजान हूँ,
क्या मेरी तरह , तू भी परेशान है
गुनगुनाते हुए आँचल की हवा दे मुझ को,
उंगलिया फेर कर बालों में सुला दे मुझ को
जिस तरह फालतू गुलदान परे रहते है
अपने घर के किसी कोने से लगा दे मुझ को
याद कर के मुझे तकलीफ ही होती होगी
एक किस्सा होऊं पुराना सा भुला दे मुझ को
डूबते डूबते आवाज तेरी सुन जाऊं
आखिरी बार तू साहिल आवाज लगा दे मुझको
हमें ख़ुद अपनी मोहब्बत नही मिली
जैसी चाहते थे हम को वो उल्फत नही मिली
मिलने को ज़िन्दगी में कई हमसफ़र मिले
पर उन की तबियत से तबियत नही मिली
चेहरों में दूसरों के तुम्हे ढूँढ़ते रहे
सूरत नही मिली तो कहीं सीरत नही मिली
बहुत देर से आया तू मेरे पास क्या कहूँ
अल्फाज़ ढूँढने की भी मोहलत नही मिली
तुझ को गिला रहा के तवज्जो न दी तुझे
लेकिन हमें ख़ुद अपनी मोहब्बत नही मिली
हर शख्स ज़िन्दगी में बड़ी देर से मिला
कोई भी चीज़ वक्त ज़रूरत नही मिली
हम को तो तेरी आदत अच्छी लगी
अफ़सोस के तुझ से मेरी आदत नही मिली
अपनी किस्मत में कभी वो थी ही नही
देर तक वो हमे याद आते रहे
काट ली आंसुओं में जुदाई की रात,
शेर कहते रहे, गाने गुनगुनाते रहे…
तेरे जलवे पराये हुए मगर गम नही,
ये तस्सल्ली भी अपने लिए कम नही,
हमने तुमसे किया था जो वफ़ा का वादा,
साँस जब तक चली , हम निभाते रहे…
किसको मुजरिम कहें अब करें किससे गिला,
रिश्ता टुटा, न उनकी न मेरी थी रज़ा,
अपनी किस्मत में कभी वो थी ही नही,
ख्वाब पलकों पे जिसके सजाते रहे…
Saturday, 8 November 2008
जख्म
हो सके तू लौट आ किसी बहाने से...
तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख...
कोई टूट गया है तेरे दूर जाने से....
कितनी जल्दी ये मुलाकात गुज़र जाती है.....
प्यास बुझती नही के बरसात गुज़र जाती है...
अपनी यादों से कहदो यूँ न आया करे ......
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है।
ये दिल न जाने क्या कर बैठा।
मुझसे पूछे बिना ही फ़ैसला कर बैठा।
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नही गिरता।
और ये पागल चाँद से दोस्ती कर बैठा।
वो याद आए भुलाते-भुलाते,
दिल के ज़ख्म उभर आए छुपाते छुपाते।
सिखाया था जिसने ग़म में मुस्कुराना,
उसी ने रुला दिया हसातें-हसातें !!
दस्तक
रोज़ बदलती है तारीखें, वक्त मगर यूँ ही ठहरा है!
हर दस्तक है उनकी दस्तक, दिल यूँ ही धोखा खाता है!
जब भी, दरवाजा खुलता है, कोई और नज़र आता है!
जाने वो कब आएगा, जिसको बरसो से आना है!
या, बस यूँ ही रास्ता ताकना, इस जीवन का जुर्माना है!
Sunday, 2 November 2008
क्या चले गए जाने वाले?
क्या नींद तुम्हे आ जाती है?
Saturday, 1 November 2008
यादें
उन पीडाओं को सींच सींच कर मैं जी बहलाया करता हूँ!
जिस तट से तेरी नाव गयी, वह तट ही अब है मीत मेरा!
पर, लहरों का मुख चुम-चुम कर, वापिस आ जाता गीत मेरा!
घंटो उस निर्जन में, आशा के महल बनाया करता हूँ!
निस्तब्ध निशा में छेड़ के सरगम मीत बुलाया करता हूँ!
उफनते सागर सा यौवन यह, चहूं ओर बिखर कर जलता है!
घायल चाहों से जडित ह्रदय, अनबुझी आग सा जलता है!
कुछ कहे, अनकहे गीतों को, फ़िर से दुहराया करता हूँ!
सांसों के अनबोले स्वर में, थककर सो जाया करता हूँ!!
जिन विश्वासों के साथ पली, संचित स्मृतिया जीवन की!
वह डोरी जिसके साथ बंधी, सब आशाये पुलकित मन की!
बेदर्द हवा के झोंको से, मैं उन्हें बचाया करता हूँ!
कुछ गढ़-अनगढ़ सपनों में, स्वयं को बिखराया करता हूँ!!
जीने का क्या है, जीते है, सांसों का स्पंदन काफी है!
अवरुद्ध व्यथा से थकित हृदय में, गति का विभ्रम ही काफी है!
सावन की नशीली रातों से , यादों को चुराया करता हूँ!
और घाव हरे टूटे दिल के, बैठा सहलाया करता हूँ!!
Tuesday, 21 October 2008
मत हो उदास
दिन हुआ है तो रात भी होगी, हो मत उदास कभी तो बात भी होगी,
इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी.
कोशिश कीजिए हमें याद करने की लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे
तमन्ना कीजिए हमें मिलने की बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे .
महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती
अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती
सितारों के बीच से चुराया है आपको दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको
इस दिल का ख्याल रखना क्योंकि इस दिल के कोने में बसाया है आपको.
अपनी ज़िन्दगी में मुझे शरीक समझना कोई गम आये तो करीब समझना
दे देंगे मुस्कराहट आंसुओं के बदले मगर हजारों दोस्तो में अज़ीज़ समझना
Saturday, 18 October 2008
वो हमको तड़पा रहे है
के आते आते करीब,वो रास्ते से लौट कर जा रहे है
रोकना चाहते है हम उन्हें इसी लिए
किन किन बहानो से उन्हें समझा रहे है
कभी जानेजां, कभी जानेमन, कभी जाने बहार कह कर बुला रहे है
वो कुछ इस तरह से हमे तड़पा रहे है
कभी आ रहे है कभी जा रहे है
कभी हँस रहे है कभी शर्मा रहे है
पहले नाराज़ करके फिर ख़ुद ही मना रहे है
वो कुछ इस तरह से हमको मना रहे है
कभी आँखें दिखा रहे है
कभी ऑंखें चुरा रहे हैं
कभी हक़ जता डाट रहे हैं
फिर उसी पल शरारतो से ऑंखें झुखा रहे है
वो कुछ इस तरह से हमको तड़पा रहे हैं
उनका मस्ती भरी बातें करना
वो मोसम को रंगीन बना रहे हैं
और करते करते बातें खामोश होना देख कर
हम मन ही मन घबरा रहे हैं
वो कुछ इस तरह से हमको तड़पा रहे हैं
प्यार
पर हथेलिओं की तकदीरों से फिसल गई
बंजर भावनाओं के घोसले को खूबसूरत बनाया था..
पर तेरे प्यार की बारिश में वो सब बह गया
कुछ लम्हों ने इस तरह पकड़ा
की पूरी ज़िन्दगी कुछ शानों में सिमट गई
बन कर मोटी जो आखों से आंसूं भी न बहा पाए तेरी जुदाई में
ऐसा बेजुबान मेरा प्यार तो नहीं, ऐसे खामोश तेरी यादें भी नहीं
तेरे शब्दों की सुंदर दुनिया में कई जीवन मिल गए
तेरे साथ पल भर के लिए जिंदा होने का आभास तो हुआ
कुछ लम्हों के लिए ही सही तेरा साथ मिला
पर तेरे एहसास से ज़िन्दगी मेरे घर से भी गुजर गई…
पर हथेलिओं की तकदीरों से फिसल गई
बंजर भावनाओं के घोसले को खूबसूरत बनाया था..
पर तेरे प्यार की बारिश में वो सब बह गया
कुछ लम्हों ने इस तरह पकड़ा
की पूरी ज़िन्दगी कुछ शानों में सिमट गई
बन कर मोटी जो आखों से आंसूं भी न भाहा पिये तेरी जुदाई में
ऐसा बेजुबान मेरा प्यार तोह नहीं, ऐसे खामोश तेरी यादें भी नहीं
तेरे शब्दों की सुंदर दुनिया में कई जीवन मिल गए
तेरे साथ पल भर के लिए जिंदा होने का आभास तो हुआ
कुछ लम्हों के लिए ही सही तेरा साथ मिला
पर तेरे एहसास से ज़िन्दगी मेरे घर से भी गुजार गई…
क्या याद हमारी आती है
सावन आया बदल घुमड़े, आकुल मन सहसा डोल उठा!
धरती का आँचल भीग गया, जब प्राण पपीहा बोल उठा!
झींगुर की जब पायल खनकी, अम्बर को बिजुरी चीर गई!
इन मस्त फुहारों में साथी, क्या याद हमारी आती है?
भँवरे की बंशी सुन, कलियों ने अलसाई पलके खोली!
मादक सपनो में डूब गयी, तब विरहिन की नजरे भोली!
कोयल कूकी अमराई में, हम कूक उठे बेबस होकर!
आँखे भींगी, प्रिये तुमको भी, क्या याद हमारी आती है?
हर प्यासी धड़कन में छिपकर, निर्मोही, तेरा प्यार पले!
साँसों की सुनी महफिल में, गूंजे अफसाने दर्द भरे!
वीणा की उलझ गयी तारें, चहूँ ओर शोर तूफानों का!
हम तो है विह्वल तुमको भी, क्या याद हमारी आती है?
बिन पिए बहारे बहक रही, कण-कण में मस्ती छायी है!
ऐसे में कोई लेके गागर, इस सुने पनघट पे आयी है!
प्रीतों पर पहरा लगे यहाँ, हर साँस कैद हो जाती है!
जब जग सोए, शबनम रोये, क्या याद हमारी आती है!
मेरी नजर
धुंधला ये स्वप्न मुझे कौन है दिखा रहा?
बदली कई बार मग़र राह अभी मिली नहीं
चलने को जिसपर मेरा मन कुलबुला रहा।
बैठ! थ! यों ही, पर वैसे ना रह सक!
सफ़र कोई और है जो मुझे बुला रहा।
यहाँ-वहाँ, कहीं-कोई, झकझोर सा मुझे गया
कोई है सवाल जो पल-पल मुझे सता रहा।
मेरी कहानी
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।********
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।। ********
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं!!!
आराम
एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।
यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ, है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।
मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ, सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।
अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।
Thursday, 16 October 2008
अपना दर्द
अनदेखे सुख की आशा में, यौवन की दुपहरी बीत गयी !
राशन में प्यार मिला हमको, अधभरी गगरिया रीत गयी!!
छाया के भरोसे जी-जीकर , पल-पल की गिनती कर बैठे
अपने ही हाथों किस्मत पर, सब छोड़ किनारा कर बैठे............
जीवन के इस बीहड़ पथ पर चलते-चलते पग हार गए
बिखरे मोती अरमानो के अपने ही हमको मार गए...........
मंजिल ही नजर नहीं आती, और छोड़ न मिले किनारों का
अब दर्द मिला जीवन भर का, धोखा था चाँद सितारों का...............
Sunday, 12 October 2008
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती है, शाम ढले इस सुने घर में मेला लगता है
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारो सोचो तो, शबनम का कतरा जिनको दरिया लगता है
किसको कैसर पत्थर मारू कौन पराया है, शीशमहल में एक एक चेहरा अपना लगता है
मैंने तो चाँद सितारों की तमन्ना की थी
मुझको रातों की स्याही के सिवा कुछ न मिला
मैं वो नगमा हूँ जिसे प्यार की महफिल न मिली
वो मुसाफिर हूँ जिसे कोई भी मंजिल न मिली
जख्म पाए है बहारों की तमन्ना की थी
किसी गेसू के सिवा आँचल का सहारा भी नहीं
रास्तें में कोई धुंधला सा सितारा भी नहीं
मेरी नजरों ने नजारों की तमन्ना की थी
मेरी राहों से जुदा हो गयी राहें उनकी
आज बदली नज़र आती है निगाहें उनकी
जिनसे इस दिल ने सहारों की तम्मना की थी
प्यार माँगा तो सिसकतें हुए अरमान मिले
चैन चाहा तो उमड़ते हुए तूफ़ान मिले
डूबते दिल ने किनारों की तमन्ना की थी
Thursday, 9 October 2008
हमारी सांसो में
लबों पे नगमे मचल रहे हैं, नज़र से मस्ती छलक रहीं है
कभी जो थे प्यार की जमानत, वों हाथ है गैर की अमानत
जो कसमे खाते थे चाहतो की, उन्ही की नीयत बदल रहीं है
किसी से कोई गिला नहीं है, नसीब में ही वफ़ा नहीं है
जहाँ कहीं था हिना को खिलना, हिना वही पे महक रही है
वों जिनकी खातिर ग़ज़ल कहे थे वों जिनकी खातिर लिखे थे नगमे
उन्ही के आगे सवाल बन के ग़ज़ल की झांझर झलक रही है
Wednesday, 8 October 2008
एक पगली सी लड़की
जब दर्द की प्याली रातों में गम आँसू के संग घुलता है!
जब पिछवाडे के कमरे में हम निपट अकेले होते है,
जब घडिया टिक-टिक चलती है, सब सोते है, हम रोते है,
जब बार-बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती है!
जब उंच-नीच समझाने में माथे की नस दुख जाती है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है!!
जब पोथे खाली होते है जब हर्फ़ सवाली होते है
जब गजले रास नही आती अफसाने गाली होती है
जब बासी फीकी धुप समेटे दिन जल्दी ढल जाता है
जब सूरज का लस्कर छत से गलियों में देर से जाता है
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छूट जाती है
जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है
जब लाख मना करने पर भी पारो पढ़ने आ जाती है,
जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।
जब कमरे में सन्नाटे की आवाज़ सुनाई देती है,
जब दर्पण में आंखों के नीचे झाई दिखाई देती है,
जब बड़की भाभी कहती हैं, कुछ सेहत का भी ध्यान करो,
क्या लिखते हो लल्ला दिन भर, कुछ सपनों का भी सम्मान करो,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्तेवाले आते हैं,
जब बाबा हमें बुलाते है,हम जाते हैं,घबराते हैं,
जब साड़ी पहने एक लड़की का फोटो लाया जाता है,
जब भाभी हमें मनाती हैं, फोटो दिखलाया जाता है,
जब सारे घर का समझाना हम को फनकारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।
जब दूर दराज इलाको से ख़त लिखकर लोग हमको बुलाते है!
जब हमको गजलो गीतों का वो राजकुमार बताते है!!
जब हम ट्रेनों से जाते है जब लोग हमे ले जाते है !
जब हम महफिल की शान बने प्रीत का गीत सुनते है !
कुछ आँखे धीरज खोती है कुछ आँखे चुप चुप रोटी है!
कुछ आँखे हम पर टिकी टिकी गागर सी खाली होती है
जब सपने आन्झे हुए लड़किया पता मांगने आती है
जब नर्म हथेली से कागज पर औटोग्राफ कराती है
जब यह सारा उल्लास हमे ख़ुद से मक्कारी लगता है !
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।
दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं,
उसके दिलमें भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं,
वो पगली लड़की मेरी खातिर नौ दिन भूखी रहती है
चुपचुप सारे व्रत करती है, पर मुझसे कभी ना कहती है,
जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुझी से करती हूँ,
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ,
उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा,
ये कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछभी तो सार नहीं बाबा,
बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है