जाने हमको यह मुलाकात कहा ले जाये
बातों बातों में कोई बात कहा ले जाए
जिस्म को काट के आँखों में थमा हैं पानी
देखिये दर्द की यह बरसात कहा ले जाए
उनकी महफ़िल ही नहीं शहर में मकतल भी हैं
क्या खबर गर्दिशे हालात कहा ले जाये
तुम मेरे ख्वाब संभालो तो सफ़र पे निकलू
इस कदर बोझ कोई साथ कहा ले जाए
हम भी एक उम्र गवांकर जिन्हें हल न कर सके
जिंदगी अब वह सवालात कहा ले जाये
जिन्दगी गर्म हवाओ का सफ़र ही दोस्त
कोई यह फूल से जज्बात कहा से ले जाये
Saturday 20 February, 2010
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