मेरे प्यार को तुम
महसूस नहीं कर सकते
आसानी से
क्योकि मैं
सूखी घास नही हूँ
जिसकी गर्मी
पाने के लिए
दो पत्थरों
रगड़ना ही काफी हो
मैं तो
बुझे से दिखने वाले
अंगारों का ढेर हूँ
जो सहर तक
आग संभाल
सकते है
जानों की जो राख
ओढ़ लेते है
वो जल्दी राख नहीं होते
Saturday, 13 December, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment