ऐसा नही है तेरे दिए हम हर दुःख सह सकते है
पर तू है मालिक दुनिया का क्या तुझको कह सकते है
जिसके लिए हम जिन्दा थे रहता था जो इस दिल में
अपनी हिम्मत देखो उस बिन भी हम रह सकते है
तुझसे डरते थे हम हरदम तेरा गुन गाते थे
आंसू कुछ कम कर ले भगवन हम अब बह सकते है
तूफानों के दौर बिजलियों के आघात को कम कर
रेत बचा है दीवार में ये घर ढह सकते है
तेरी दया किहमने कमी वैसे महसूस नहीं की
पर दर्द के ऐसे तीखे वारो को क्या कह सकते है
Saturday 13 December, 2008
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