तेरे खयालो से महकी सी मेरी तन्हाई है
मुझे हर आहट पे लगे शायद मिलने तू आयी है
है ये लहराती ठंडी हवा या आँचल उड़ता तेरा
खुशबु तेरी हर सूँ छाई है ....................
अय हँसी
तू ही मेरी साँसों में है घुली तू ही मेरी आंखों में है बसी मेहरून महजबीं
सच तो ये है के देखू कही लगता है मुझको तू है वही
रंग है जितने तू ही लाई है ..............................
Sunday, 7 December 2008
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