किसी से मिलने की चाहत ने
ये क्या किया मेरे साथ
मैं सब से दूर खुद से दूर
एक अनजानी राह पर बढ़ चला
यह कैसी कामना है जागी
यह उन्माद कहा से आया
मन मेरा मचलकर मुझसे
फिर पीछे कहा ले चला
फिर से यह लग रहा है मुझे
मैं वापस वही चलु
जहाँ तुम थी मैं था
और भी बहुत कुछ था
तब मैं था तुम थे
लेकिन हम नहीं थे
1 comment:
Bahot badhiya
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