दरवाजे पर हर दस्तक का, जाना पहचाना चेहरा है!
रोज़ बदलती है तारीखें, वक्त मगर यूँ ही ठहरा है!
हर दस्तक है उनकी दस्तक, दिल यूँ ही धोखा खाता है!
जब भी, दरवाजा खुलता है, कोई और नज़र आता है!
जाने वो कब आएगा, जिसको बरसो से आना है!
या, बस यूँ ही रास्ता ताकना, इस जीवन का जुर्माना है!
Saturday 8 November, 2008
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