तन्हा सी जिंदगी में तन्हा है हर रास्ता,
दोस्तों यारो से जैसे टूटा हो वास्ता,
सभी हैं साथ पर नजाने किसकी कमी है,
इतनी खुशियों में नजाने कैसी गमी है।
क्यो पतझड़ में सावन का दीदार करता हूँ,
क्यो हर घड़ी सिर्फ़ तेरा इंतज़ार करता हूँ,
तू कौन है कहा है, इस सब से अनजान हूँ,
क्या मेरी तरह , तू भी परेशान है
Thursday 13 November, 2008
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