Saturday 8 November, 2008

जख्म

बहुत उदास है एक शख्स तेरे जाने से...
हो सके तू लौट आ किसी बहाने से...
तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख...
कोई टूट गया है तेरे दूर जाने से....
कितनी जल्दी ये मुलाकात गुज़र जाती है.....
प्यास बुझती नही के बरसात गुज़र जाती है...
अपनी यादों से कहदो यूँ न आया करे ......
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है।
ये दिल न जाने क्या कर बैठा।
मुझसे पूछे बिना ही फ़ैसला कर बैठा।
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नही गिरता।
और ये पागल चाँद से दोस्ती कर बैठा।
वो याद आए भुलाते-भुलाते,
दिल के ज़ख्म उभर आए छुपाते छुपाते।
सिखाया था जिसने ग़म में मुस्कुराना,
उसी ने रुला दिया हसातें-हसातें !!

No comments: