ख्वाब टूटे हुए, दिल दुखाते रहे,
देर तक वो हमे याद आते रहे
काट ली आंसुओं में जुदाई की रात,
शेर कहते रहे, गाने गुनगुनाते रहे…
तेरे जलवे पराये हुए मगर गम नही,
ये तस्सल्ली भी अपने लिए कम नही,
हमने तुमसे किया था जो वफ़ा का वादा,
साँस जब तक चली , हम निभाते रहे…
किसको मुजरिम कहें अब करें किससे गिला,
रिश्ता टुटा, न उनकी न मेरी थी रज़ा,
अपनी किस्मत में कभी वो थी ही नही,
ख्वाब पलकों पे जिसके सजाते रहे…
Thursday 13 November, 2008
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