अनदेखे सुख की आशा में, यौवन की दुपहरी बीत गयी !
राशन में प्यार मिला हमको, अधभरी गगरिया रीत गयी!!
छाया के भरोसे जी-जीकर , पल-पल की गिनती कर बैठे
अपने ही हाथों किस्मत पर, सब छोड़ किनारा कर बैठे............
जीवन के इस बीहड़ पथ पर चलते-चलते पग हार गए
बिखरे मोती अरमानो के अपने ही हमको मार गए...........
मंजिल ही नजर नहीं आती, और छोड़ न मिले किनारों का
अब दर्द मिला जीवन भर का, धोखा था चाँद सितारों का...............
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