Saturday, 18 October 2008

रेत को हीरे की तरह हाथों में संभाला
पर हथेलिओं की तकदीरों से फिसल गई

बंजर भावनाओं के घोसले को खूबसूरत बनाया था..
पर तेरे प्यार की बारिश में वो सब बह गया

कुछ लम्हों ने इस तरह पकड़ा
की पूरी ज़िन्दगी कुछ शानों में सिमट गई

बन कर मोटी जो आखों से आंसूं भी न भाहा पिये तेरी जुदाई में
ऐसा बेजुबान मेरा प्यार तोह नहीं, ऐसे खामोश तेरी यादें भी नहीं

तेरे शब्दों की सुंदर दुनिया में कई जीवन मिल गए
तेरे साथ पल भर के लिए जिंदा होने का आभास तो हुआ

कुछ लम्हों के लिए ही सही तेरा साथ मिला
पर तेरे एहसास से ज़िन्दगी मेरे घर से भी गुजार गई…

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