Wednesday, 8 October 2008

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है!
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है!!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है!
ये तेरा दिल समझता या मेरा दिल समझता है!!

मोहब्बत एक एहसाँसों की पावन सी कहानी है!
कभी कबिरा था दीवाना कभी मीरा दीवानी है!!
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आंसू है!
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है!!

समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता!
यह आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता!!
मेरी चाहत को तू दुल्हन बना लेना मगर सुनले!
मेरी चाहत को तू अपना बना लेना मगर सुनले!
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा!!

बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नहीं पाया!
हवाओं के इशारे पर मगर मैं बह नहीं पाया!!
अधूरा अनसुना ही रह गया यह प्यार का किस्सा!
कभी तू सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया!!

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी !
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी !!
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर हो हम भी !
अतः मजबूर हो तुम भी बड़े मजबूर है हम भी !!

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