मैं भी इन्तजार करूंगा
पर इस जन्म की तरह मत मिलना
जिसमे तुम्हारा मुझसे मिलना तो क्या
मेरे सपनो में आना भी वर्जित है
खैर .......................
कोरे कागज़ पर कविता लिख देना
कोरी शिकायत नहीं होती
रंज भी होता है
फालतू के मोह पर
खामखाँ की गई मोहब्बत पर
या बहूत किये गए किसी निर्मोही के इंतज़ार पर
फिर भी मिलना तो ऐसे जन्म में मिलना
जिसमे अँधेरी रातों में से हौसलों के लिए
जुगनू उदाहरण ना बने
आँखों में आये पानी के लिए
अपने अजीज कारन ना बने
वैसे भी ..........
पैरो की काबिलियत का सबूत
मंजिले नहीं राहे देती है
सो किसी और जन्म में मिलने की
किसी से आसीस भी मांगना
तो मंजिल पर पहुचने की नहीं
राहों में सलामती की मांगना
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