Saturday, 28 March 2009

तेरे दीदार की एक तमन्ना

मैं किसी को कभी भूल सकता नहीं कोई मुझको भुलाये तो मैं क्या करूँ

आंसूओ के जाम पिए जा रहा हूँ , दिल के दिल के टुकड़े सिये जा रहा हूँ
तेरे दीदार की एक तमन्ना लिए हर रोज़ मैं मरकर जिए जा रहा हूँ

किए जा रहा तेरे नामो के सजदे उन वादों का गजरा बुने जा रहा हूँ
बीती यादों की छोटी सी गठरी बनाये अपनी किस्मत समझ लिए जा रहा हूँ

सहे जा रहा इस दुनिया के ताने अपने आप से ख़ुद ही लरे जा रहा हूँ
इस इंतज़ार की मीठी चुभन लिए थोड़ा और इंतज़ार किए जा रहा हूँ

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