ज़्यादा न थी हसरतें दिल की
चाहा था बस थोडी सी खुशी मिलती
वो चंद खुशिया भी हमें अलविदा कह गयी
यूं लगता है ज़माने की नज़र लग गयी
ज़िन्दगी में हर कदम पर धोखा खाया
जो चाहा था वो कभी ना पाया
हमारी किस्मत भी हमें दगा दे गयी,
अब तो दिल एक ख्वाहिश से भी डरता है
हर घड़ी हर पल हर साँस के साथ मरता है
Wednesday, 11 March 2009
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