Saturday, 6 December 2008

एक तस्वीर जो ख्वाबो को सजा जाती है
कितने सोये हुए जज्बात जगा जाती है
आज भी प्यार से पुरनम है वो नजर की शबनम
स्याह रातों मं थपक दे के सुला जाती है

1 comment:

"अर्श" said...

bahot khub.. andaze bayan...