Saturday, 6 December 2008
एक तस्वीर जो ख्वाबो को सजा जाती है
कितने सोये हुए जज्बात जगा जाती है
आज भी प्यार से पुरनम है वो नजर की शबनम
स्याह रातों मं थपक दे के सुला जाती है
1 comment:
"अर्श"
said...
bahot khub.. andaze bayan...
7 December 2008 at 1:53 am
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amit kumar viccy
Darbhanga, Bihar, India
har ek kadam per jindagi ko jindadili se jeete hoon
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bahot khub.. andaze bayan...
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