Thursday, 17 December 2009

'दिल की नाज़ुक रगे टूटती है
याद इतना भी कोई ना आए
रह गई जिंदगी बोझ बन कर
बोझ दिल मे उठाये उठाए




जब से चला हूँ मंजिल पे नज़र है
मील का पत्थर नही देखा//
अचानक पहुंचूंगा तो चौंक पड़ेंगे सब
मैंने बरसों से अपना घर नही देखा//
फूलों की सेज मुझे विरासत में नही मिली//
आपने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा



Sunday, 4 October 2009

Hawa ban kar bikharney se


Usey kya farq parta hai

Mere jeeney ya marney se

Usey kya farq parta hai

Usey to apni khushiyon se

Zara bhi fursat nahi milti

Mere gham ke ubharney se

Usey kya farq parta hai

us shaks ki yaadon mein

Me chahe rotey raho lekin

Tumhare aisa karney se

Usey kya farq parta hai…
Nazar bhar k dekha na kuch baat ki..


To kyo aarzu ki mulakat…

Ye rasman bhi koi nahi puchta…

Kahan din guzara??

Kahan raat ki………

Pata ye chala vo to ha SANGDIL

Use kadr kya mere JAZBAAT KI………..

Tumhe pa k bhi hum akele rahe…………………..

Ajab DURIYAN hain ye halaat ki……..,,

Kasam hai na bulegi ”

MALIKA” Kabhi

Jo ghadiyan guzari tere sath ki………………….!!!!
Kisay Pukaarein Hum Is Hujoom-e-Gham Mein


Ke Sub Hi Hamaray Aazamaye Huey Hain



Tum Hi Ne Hamein Kar Diya Tanha

Warna Hum To Ta’alluq Nibhaey Huay Hain



Dheemay Dheemay Aansoo Dil Se Girtay

Ke Hum Apna Gham Sub Se Chupaey Huay Hain



Un Shaano Tak Ab Rasaai Na Rahi

Jin Shano Pe Aansoo Bahaye Huay Hain



Hum Karein Ab Kisi Per Kaisay Bharosa

Ke Zamane Se Dhokay Khaaey Huay Hain



Khushion Se Bhi Ab To Lagta Hay Dar

Is Qadar Zakham Hum Ne Khaye Huay Hain



Ab Dast-e-Shanasai Na BaRhayein Gay Hum

Ke Zamane Bhar Se Thukraye Huey Hain…
Zindagi sabhi ko mili ho ye zaroori to nahi


aag gulshan mai baharen bhi laga sakti hai

Sirf Bijli hi giri ho ye zaroori to nahi

Neeend to dard ke bistar pe bhi aa sakti hai

Teri aahosh mai hi sar ho ye zaroori to nahi



Gazlon ka hunar saki ko sikhayenge

roange magar aansu nahi aayenge

Keh dena samandar se, Hum Oas ke moti hai

Dariya ke tarah tughse milne nahi Aayenge



Aachi surat ko sawarne ki zaroorat kya hai

Sadgi bhi to kayamet ke ada hoti hai
Apna ghar, apna gaon, apne log

inki keemat, toh, wo pardeshi jaante hain,
Choot gayi rozi roti ki talaash me,
Sarzami jinki darbadar ho,
Banatey hai ghonsla kisi or saakh pe.
Par kya itnaa aasaan hota hai,
pardesh me ghar basaanaa.
Takleef toh wo hi jaanta hai
Choota hai jiska ghar gaon.
khuda tujhe mai nahi maanta.
Par fir bhi ek iltiza tujhse
Sab ko de roti apne hi gaon me .
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,


सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,

उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,

ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,

आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,

आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,

अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं

खुशी भी दोस्तो से है,

गम भी दोस्तो से है,



तकरार भी दोस्तो से है,

प्यार भी दोस्तो से है,



रुठना भी दोस्तो से है,

मनाना भी दोस्तो से है,



बात भी दोस्तो से है,

मिसाल भी दोस्तो से है,



नशा भी दोस्तो से है,

शाम भी दोस्तो से है,



जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,

जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,



मौहब्बत भी दोस्तो से है,

इनायत भी दोस्तो से है,



काम भी दोस्तो से है,

नाम भी दोस्तो से है,



ख्याल भी दोस्तो से है,

अरमान भी दोस्तो से है,



ख्वाब भी दोस्तो से है,

माहौल भी दोस्तो से है,



यादे भी दोस्तो से है,

मुलाकाते भी दोस्तो से है,



सपने भी दोस्तो से है,

अपने भी दोस्तो से है,



या यूं कहो यारो,

अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से hai
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं..




डरते हैं अब तो,

पास जाते उनके,

सुना है की,

वे एहसानों का हिसाब रखते हैं.......



बालों की सफेदी से,

मौत भुलावे में,

कहीं भेज न दे बुलावा,

बोतलों में नहीं ,

वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....



कत्ल करने से गुरेज नहीं,

सजा का भी खौफ नहीं,

एक हाथ में खंज़र,

दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....





ये अलग बात है की देखते नहीं,

नजर भर में पलट दें , तख्त-ताज,

लफ्जों में क़यामत,

आँखों में सैलाब रखते हैं....



आदमियों की भीड़ में,

इंसानों की तलाश हुई मुश्किल,

इंसान की सूरत सा ,लोग,

चेहरे पर नकाब रखते हैं..
काफी समय पहले बी आर विप्लवी जी की कुछ पंक्तियाँ पढी थी ....मुझे पसंद आईं .....आप भी गौर फ़रमाएँ






पूछकर जात -घराने मेरे,

सब लगे ऐब गिनाने मेरे,





छेड़ मत गम के फ़साने मेरे,

दर्द उभरेंगे पुराने मेरे,





जात फिर इल्म से बड़ी निकली,

काम ना आये बहाने मेरे,





चंद लम्हों की मुलाकातों में,

कैद लाखों हैं जमाने मेरे,





छाँव आँचल की जब मिली माँ की,

भर दिए जख्म, दुआ ने मेरे,





अश्क बरसे तो सब गुमान बहे,

घुल गए मैल ,पुराने मेरे,





इक सिफर आखिरात का हासिल था ,

रह गए , जोड़-घटाने मेरे,





जब से तू बस गया निगाहों में,

चूक जाते हैं निशाने मेरे,





शहर में घर , न गाँव में खेती,

है कहाँ ठौर, ठिकाने मेरे,





विप्लवी खोजते हुए खुशियाँ,

सब लुटे ख्वाब सुहाने मेरे
Kuch din pehle mohabbat ko sapna samjha hum ne


Muhabbat hue mohabbat ko apna samjha hum ne



Mohabbat main iskadar madhosh ho Gaye

Is ki bewafai ko wafa samjha hum ne?



Zakham iskadar mohabbat ne diye

Hum ne in zakhmo ko phool samjha



Mohabbat ki chik o pukaar iskadar thi

Ke ass pass ke logo ki roone ko asna samjha hum ne



Mohabbat ki shidat main aankhen iskadar chandiya Gaye

Har chamakti chiz ko sona samjha hum ne



Dewaana iskadar mohabbat ne bannaya humko

Ke apno ko begana samjha hum ne



Mohabbat ki yaadein dil par kuch you naksh kar Gaye.

Ke on ko bhulane ki khoshish main

Khod ko bhula diya hum ne..

नींद

मैं नींद के इंतज़ार में करवट बदल रहा था


और वो मेरे पायदाने में सिसक रही थी

मैं किसी और खयालो में डूबा हुआ था

नींद की बाहें मुझे दूंढ़ रही थी

जिसके खयालो ने मुझे अपने में डूबा लिया

उसका हाल न जाने कैसा था

पर मेरे खयालो में तो वही छाई थी

और

नींद ने भी अपना आशियाना शायद उसकी बाँहों में बना लिया

या

मेरी बेरुखी ही उसे वहा ले गयी

फिर

मैं एक दिन नींद की खोज में निकला

वो मिली

मैंने पुछा

तुम मेरे पास से क्यों चली गयी

उसने कहा

तुम तो हरदम उसके खयालो में खोये रहते हो

इसलिए तुम मुझे कहा मिलते हो

मैं जब भी तुम्हारे पास आती हूँ

तुम हमेशा वही चले जाते हो

मैंने भी थक हार कर सोचा

जो तुम्हे इतना प्रिये है

मैं भी उसी के पास चली जाती हूँ

शायद तब तुमको मैं पा सकूंगी

और मेरी किस्मत देखो

तुम अब मेरे पास ही आ गए

Wednesday, 26 August 2009

chandan das ki ek gazal

खेलने के वास्ते अब दिल किसी का चाहिए
उम्र ऍसी है कि तुमको इक खिलौना चाहिए

मुझ को कहिए हाथ में मेंहदी लगाना है अगर
खूने दिल दूँ या कि फिर खूने तुमन्ना चाहिए

बज़्म मे आओ किसी दिन कर के तुम सोलह सिंगार
इक क़यामत वक़्त से पहले भी आना चाहिए

तुम कहो तो मर भी जाऊँ मैं मगर इक शर्त है
बस कफ़न के वास्ते आँचल तुम्हारा चाहिए

कल तलक था दिल जरूरी राह ए उलफत में मुराद
आज के इस दौर में चाँदी और सोना चाहिए

Tuesday, 16 June 2009

दूर रेह्केभी क्यों
इतने पास रहते हैं वो?
हम उनके कोई नही,
क्यों हमारे सबकुछ,
लगते रहेते हैं वो?
सर आँखोंपे चढाया,
अब क्यों अनजान,
हमसे बनतें हैं वो?

वो अदा थी या,
है ये अलग अंदाज़?
क्यों हमारी हर अदा,
नज़रंदाज़ करते हैं वो?
घर छोडा,शेहेर छोडा,
बेघर हुए, परदेस गए,
और क्या, क्या, करें,
वोही कहें,इतना क्यों,
पीछा करतें हैं वो?

खुली आँखोंसे नज़र
कभी आते नही वो!
मूंदतेही अपनी पलकें,
सामने आते हैं वो!
इस कदर क्यों सताते हैं वो?
कभी दिनमे ख्वाब दिखलाये,
अब क्योंकर कैसे,
नींदें भी हराम करते हैं वो?

जब हरेक शब हमारी ,
आँखोंमे गुज़रती हो,
वोही बताएँ हिकमत हमसे,
क्योंकर सपनों में आयेंगे वो?
सुना है, अपने ख्वाबों में,
हर शब मुस्कुरातें हैं वो,
कौन है,हमें बताओ तो,
उनके ख्वाबोंमे आती जो?
दूर रेह्केभी क्यों,
हरवक्त पास रहेते हैं वो?
kya neer rahit hai too badree ?

too dekh to apna hee aanchal'
shayad ho samayee koyee namee'
shayad ho samete ek bijlee.

chal kuch na sahee too hai badree !

kisee dhoop me koyee chaon sahee,
kisee rahee ko ek thaon sahee,
kisee sapne ka ek gaon sahee,
ummeed me uththa paon sahee,

jeevan ka antim daaon sahee !

bas dhoop me thodee chaon sahee .
हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी,
जिसे बरसनेकी इजाज़त नही....

वैसेतो मुझमे, नीरभी नही,
बिजुरीभी नही,युगोंसे हूँ सूखी,
पीछे छुपा कोई चांदभी नही....

चाहत एक बूँद नूरकी,
आदी हूँ अन्धेरोंकी,फिरभी,
सदियोंसे वो मिली नही....

के मै हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी....
मेरे लिए तमन्नाएँ लाज़िम नही....
आज जब देख रही हूँ,
पीली पुरानी तस्वीरें ,
आ रहे हैं याद मुझे,
कितनेही गुज़रे ज़माने,
भूली नही पल एकभी,
ना ख़ुशी का, ना ग़म काही ,
पर आज हर लम्हये ख़ुशी,
खुनके आँसू रुला रही,
दर्द अब नही रुलाता,
उसकी तो आदत पड़ गयी,
ख़ुशी है जो नायाब बन गयी ....

Friday, 12 June 2009

इंतज़ार

मुझे हरदम किसी तलाश क्यूं हैं
मुझे हर घड़ी किसी का इंतज़ार क्यूं है'

मैं हर रोज किसकी उम्मीद में दिन गुजारता हूँ
रातों को तन्हाई में किसी के आने की आस क्यों करता हूँ

मैंने तो अपने हर ओर एक दीवार खड़ी की है
इसको पार करने की किसी को इजाजत नहीं दी है
फिर इस दिल को किसी चाँदनी की चाहत क्यूं है

मैंने ख़ुद ही अपने दिल को दिमाग का गुलाम बनाया
फिर मुझे इस दिल की आजादी की चाह क्यों है

मैंने इन दीवारों को बहुत ही मजबूत बनाया
फिर भी मुझे इस्नके टूटने की हसरत क्यों हैं

यहाँ कौन किसी के लिए इंतज़ार करता है
फिर भी मुझे किसी का इंतज़ार क्यों है

दोस्ती

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रहने का॥
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में॥
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की।
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
यह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज॥
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में॥
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी॥
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में॥
कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी॥
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते है अलग-अलग॥
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में॥
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

Saturday, 9 May 2009

गुलदस्ता

खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाऊंगी,
सुकून बनकर दिल में उतर जाऊंगी,
महसूस करने की कोशिश कीजिये,
दूर होकर भी पास नज़र आऊंगी !


कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी,
बिना तेरे, बहुत रोती है ये आँखें मेरी,
कब से मेरी आंखों को नींद आती ही नहीं,
बाहें मांगती है मुझसे रातें तेरी,
जान आ जाओ के अब दिल कहीं लगता ही नहीं,
तुमको बुला रही है ये बाहें मेरी !


जुबां खामोश आंखों में नमी होगी,
यही तो बस दास्तान - ए- ज़िन्दगी होगी,
भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएगा,
पर कैसे भरेगी वो जगह,
जहाँ पर तुम्हारी कमी होगी !


आपके ख्यालों से फुर्सत नहीं मिलती,
एक पल की भी रुखसत नहीं मिलती,
मिल जाता है हमें सब कुछ,
बस देखने को आपकी सूरत नहीं मिलती !


आज तेरी यादों को सीने से लगा के रोये,
अपने ख्वाबों में तुझे पास बुलाके रोये,
हजारों बार पुकारा तुझे तन्हाइयों में,
और हर बार तुझे पास न पाकर रोये !!


तुम्ही हो न वो जिसके लिये मैं शाम-सुबू जिया,
तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !



हर शाम कह जाती है एक कहानी,
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी,
रास्ते तो बदलते हैं हर दिन लेकिन,
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !


शब्दों में दर्द, दिल में ज़ख्म,
आंखों में नहीं कोई आशा,
अलग नहीं उत्सव, मातम
खुशी या निराशा,
न कुछ खोने की,
न कुछ पाने की अभिलाषा,
फिर भी आज है कोई,
तेरे इश्क का प्यासा !


तेरे उस दिलकश चेहरे का,
तेरे संग बिताये हुए हसीन लम्हों का,
तेरे बेपनाह मोहब्बत का,
तेरे होठों के मीठे चुम्बन का,
मेरे रोम रोम में तेरा ही नशा छाया है,
बिन तेरे अब ये दिल एक पल न सुकून पाया है,
बस एक तू ही है जिसे मैंने अपनी जान से भी ज़ादा चाहा है,
ऐ मेरे जानम अब तू ही मेरी जीने की वजह है,
तुझी से ज़िन्दगी का आगाज़ और...
तुझी पे मर मिटने की तमन्ना है !!



न तस्वीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाए,
न तुम पास हो जो प्यार किया जाए,
ये कौन सा दर्द दिया है आपने,
न कुछ कहा जाए, न तुम बिन रहा जाए!


मिटटी से हवा आने लगी अभी अभी,
क्या आपने याद किया अभी अभी?
आपसे कब मिलेंगे पता नहीं,
फिर भी यूँ लगता है आप मिलकर गए अभी अभी !

भूल अगर कोई हो गई हो हमसे,
रूठकर ना रुखसत हो जाना मुझसे,
भूल समझकर भूल को माफ़ कर देना,
भूल के भी हमें न भुलाना !


वो पहली मुलाकात, वो पहली मुस्कराहट,
वो पहली गुफ्तगू, वो हसीन पल,
वो अपनापन, वो चाहत का एहसास,
वो दिल की तड़प, वो नायाब यादें,
बस इन्ही यादों के सहारे जी रहे हैं हम,
और इन्ही पलों के लिए मर मिट सकते हैं हम !



दिल की हालत की तरफ़ किसकी नज़र जाती है,
प्यार की उमर तमन्नाओ में गुज़र जाती है,
मैं रो पड़ती हूँ जब याद तुम्हारी आती है,
ज़माना हँसता है जब मोहब्बत रूठ जाती है !



वो नहीं है साथ हमारे पर आज भी है उनका नशा,
न बचे सुर, न बचे शब्द पर आज भी है एक नगमा,
आज भी है राहें, आज भी एक मंजिल, जुदा हो गए हमराह,
न बचा जिस्म, न बचा जिगर, पर आज भी है एक आह !!


आपके प्यार ने ज़िन्दगी को एक मकसद दिया है,
हर सुख दुःख में मैंने आपका एहसास किया है,
जब भी झपके पलक आपकी तो समझ लेना,
आपकी जान ने आपको याद किया है !!



हम अपनी दोस्ती को यादों में सजायेंगे,
दूर रहकर भी बंद आंखों में नज़र आयेंगे,
हम कोई वक्त नहीं जो बीत जायेंगे,
जब याद करोगे तब चले आयेंगे !!


लबों पे आज उनका नाम आ गया,
प्यासे के हाथ जैसे जाम आ गया,
डोले कदम तो गिरा उनकी बाँहों में जाकर,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया !



कितनी जल्दी मुलाक़ात गुज़र जाती है,
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !


चाहत है आपकी चाहत को पाने की,
चाहत है चाहत को आजमाने की,
आप चाहे न चाहे पर,
चाहत है आप की चाहत में मिट जाने की !!


तन्हाइयों में तुमको ही याद करते हैं,
तुम सलामत रहो यही फरियाद करते हैं,
हम तुम्हारे ही मोहब्बत का इंतज़ार करते हैं,
तुम को क्या पता हम तुमको कितना प्यार करते हैं !

चाह था जिसे उसे भुलाया न गया,
ज़ख्म दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करता है दिल उसे,
की बेवफाई का इल्जाम भी उस पर लगाया न गया...


एक शमा अंधेरे में जलाये रखना,
सुबह होने को है माहौल बनाये रखना,
कौन जाने वो किस गली से गुज़रे,
हर गली को फूलों से सजाये रखना !


काश ऐसा हो के तुमको तुमसे चुरा लूँ,
वक्त को रोककर वक्त से एक दिन चुरा लूँ,
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूँ,
तुम साथ हो तो ये जहाँ चुरा लूँ !



थक गए हम उनका इंतज़ार करते करते,
रोये हज़ार बार ख़ुद से टकरार करते करते,
दो लफ्ज़ उनकी जुबां से न निकले और,
टूट गए हम एक तरफा प्यार करते करते !


ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं,
प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं,
मिलने की उमंग बहुत होती है दिल में लेकिन,
मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं !


मांगी थी दुया आशियाने की,
चल पड़ी आंधियां ज़माने की,
मेरे गम कोई न समझ सका,
क्यूंकि मेरी आदत थी मुस्कुराने की !


फूल खिलते हैं, बहारों का समा होता है,
ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवा होता है,
दिल की बातों को होठों से नहीं कहते,
ये अफसाना तो निगाहों से बयान होता है !


वो तो पानी की बूँद है जो आंखों से बह जाए,
आंसू तो वो है जो आंखों में ही रह जाए,
वो प्यार क्या जो लफ़्ज़ोह में बयान हो,
प्यार तो वो है जो आंखों में नज़र आए !


मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल है,
पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं,
कहते हैं मिलती है मोहब्बत में बहुत उल्फतें,
पर आप हो महबूब मेरे तो सब कुबूल है !



दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाहों को इकरार कहते हैं,
सिर्फ़ जताने का नाम इश्क नहीं,
किसीको यादों में जीने को भी प्यार कहते हैं !


चाहा था जिसे उसे भुलाया न गया,
ज़ख्म दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करता है दिल उसे,
के बेवफाई का इल्जाम भी उस पर लगाया न गया !


आज फिर तेरी याद आयी बारीश को देखकर,
दिल पे ज़ोर न रहा अपनी बेबसी को देखकर,
रोये इस कदर तेरी याद में,
के बारीश भी थम गयी मेरी बारीश देखकर !



साहिल पर खरे खरे हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आपके नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुजरेगी ज़िन्दगी,
बिना सोचे समझे हर खुशी आपके नाम कर दी!

तुझे अपना मुकद्दर बताते हैं हम,
खुदा के बाद तेरे आगे सर झुकाते हैं हम,
ये रिश्ता कभी तोर न देना,
जिस रिश्ते के दम पर मुस्कुराते हैं हम !


चेहरे पे हँसी छा जाती है,
आंखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
आँखें मेरी शर्मा ही जाती है !


ज़िन्दगी शुरू होती है रिश्तों से,
रिश्ते शुरू होते हैं प्यार से,
प्यार शुरू होता है अपनों से,
और हम शुरू होते हैं आपसे!


समंदर के साथ साहिल,
फूल के साथ खुशबू,
जिस्म के साथ रूह,
शमा के साथ परवाना,
खुशी के साथ गम,
और आपके साथ हम..!


क्यूँ नजरे चुराए बैठे हो,
क्यूँ दिल को दबाये बैठे हो!
अरे हम इतने भी बुरे नहीं,
जो जनाब हमे भुलाये बैठे हो...!


ये तन्हाईयाँ जो सजी है तेरे ख्यालों से,
इनसे ये रात यूँही सजती रहे,
ये अकेलापन जो तुमसे दूरी का एहसास है,
ये दूरियां तेरे दीदार की उम्मीद से सजती रहे!


कुछ बीते हुए लम्हों से मुलाकात हुई,
कुछ टूटे हुए सपनों से बात हुई,
याद जो करने बैठे उन तमाम यादों को,
तो आपकी यादों से शुरुयात हुई !



हर इश्क का मतलब गम नहीं होता,
दूरियों से प्यार कम नहीं होता,
वक्त बेवक्त हो जाती है आखें नम,
क्यूंकि यादों का कोई मौसम नहीं होता !


दिल ने दिल को पुकारा है,
होठों पर नाम तुम्हारा आया है,
दिल की चाहत ने पुकारा है,
आखों के सामने चेहरा तुम्हारा आया है,
मुझे पता है के तुम आओगे,
बार बार ख्याल मन् में आया है !


हर लम्हा एक ख्याल,
हर ख्याल एक सवाल,
हर सवाल एक जवाब,
हर जवाब एक उम्मीद,
हर उम्मीद एक सपना,
हर सपना एक अरमान,
हर अरमान एक याद,
हर याद में सिर्फ़ और सिर्फ़ आप!!


इस कदर हमारी चाहत का इम्तीहान मत लीजिये,
क्यूँ हो खफा ये बयान तो कीजिये...
कर दीजिये माफ़ अगर हो गई कोई खता,
यूँ ही याद न करके सज़ा तो न दीजिये...!!!



तेरे हर अल्फाज़ में वो कशिश है,
जो मेरे रूह को महका जाता है,
तुझे उम्र भर पाने की ख्वाइश है,
ये मेरा जूनून नहीं बेपनाह मोहब्बत है!


इकरार में शब्दों की एहमीयद नहीं होती,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती,
आँख बयां कर देती है दिल की दास्ताँ,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती!



लम्हे ये सुहाने साथ हो न हो,
कल में आज जैसी बात हो न हो,
आपकी दोस्ती हमेशा इस दिल में रहेगी,
चाहे सारी उम्र मुलाकात हो न हो!


ए जानेमन, तू ही है मेरा तनमन,
तुझी से जुरा है मेरे दिल की धड़कन,
ये दिल पुकार रहा है सिर्फ़ तुझे,
आकर अपनी आहोश में ले ले मुझे!!


मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं,
प्यार सिर्फ़ पाने का नाम नहीं,
मुद्दत बीत जाती है किसीके इंतज़ार में,
ये सिर्फ़ एक पल दो पल का काम नहीं!!


सिर्फ़ चाहने से कोई बात नहीं होती,
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती,
हम चाहते हैं जिन्हें जान से भी जादा,
वो सामने है पर बात भी नहीं होती!


तुम मुझे भूल न पाओगे,
इस कदर हम तुम्हें याद आयेंगे...
यकीन न आए तो आईने में देखना,
तेरी आंखों में हम नज़र आयेंगे!


राह में जब तुमसे निगाहें टकराई,
दिल में मेरे हलचल सी मच गयी,
कैसे बताऊँ उस पहली मुलाकात का अंजाम,
तुम्हारे एक दीदार के इंतज़ार में मैं हो गयी गुमनाम!


काश! ये जालिम जुदाई न होती,
रब्बा तूने ये चीज़ बनाई न होती!
न हम उनसे मिलते न प्यार उनसे होता,
तो ये ज़िन्दगी जो अपनी थी, वो परायी न होती!


लहर आती है, किनारे से पलट जाती है,
याद आती है, दिल में सिमट जाती है,
दोनों में फरक सिर्फ़ इतना है,
लहर बेवक्त आती है, और याद हर वक्त आती है!


फिजा में महकती एक शाम हो तुम,
प्यार में छलकता जाम हो तुम
सीने में छुपाये फिरते हैं हम याद तुम्हारी,
मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम!


सोचा न था की कभी दोस्ती होगी
दिल जिसके लिए रो सके वैसी उल्फत होगी
अब जन्नत की गलियों का रास्ता क्यूँ देखूं
जहाँ तुम हो वहीँ से जन्नत शुरू होगी॥!!



ओस की बूँदें हैं, आखों में नमी है,
न ऊपर आसमान है और न नीचे ज़मीन है,
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग खास है बस उन्ही की कमी है!


रातें गुमनाम होती है,
दिन किसीके नाम होता है,
हम ज़िन्दगी कुछ इस तरह जीते हैं,
हर लम्हा आप ही के नाम होता है!


उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थी
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी
मन् की गहराई में डूबी देखती रही
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी!


एक फूल काफी है कबर पर चढाने को,
हजारों फूल कम है डोली सजाने को,
हजारों खुशियाँ कम है एक गम भुलाने को,
और एक गम काफी है ज़िन्दगी भर रुलाने को!


आज ये कैसी उदासी छाई है
तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है,
रोया है फिर दिल मेरा
नजाने आज किसकी याद आई है!


रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई
दिन तो गुज़र ही जाता है लोगों की भीर में,
करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई!


तेरी वफ़ा ने मुझे ख़ुद और सितम करने न दिया
जो आए पलकों पर मोती उन्हें झरने न दिया
मैंने समझा है खुदको सदा अमानत तेरी,
इसी ख्याल ने मुझको कभी मरने न दिया!


चिरागों से अंधेरे दूर हो जाते
तो चाँद की चाहत हमें न होती
अगर कट सकती यह ज़िन्दगी अकेले
तो हमें आपकी ज़रूरत नहीं होती!


वादा किसीसे करने की ज़रूरत ही क्या थी जो निभा न सके,
किया ही क्यूँ था प्यार जब जता न सके,
यूँ तो बातें बहुत बड़ी की थी तुमने,
पर ऐसा सफर कैसा जो साथ उमर भर चल न सके!


दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाह को इकरार कहते हैं,
सिर्फ़ पाने का नाम इश्क नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं!


कैसे कहूं की अपना बना लो मुझे
बाँहों में अपनी समां लो मुझे

बिन तुम्हारे एक पल भी अब कटता नहीं
तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे

ज़िन्दगी तो वो है संग तुम्हारे जो गुज़रे
दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे

मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी
तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे

ये कैसा नशा है जो बहका रहा है
तुम्हारा हूँ मैं तो संभालो मुझे

नजाने फिर कैसे गुजरेगी जिंदगानी
अगर अपने दिल से कभी तुम निकालो मुझे

सभी नगमें साज़ में गाये नहीं जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते!


दिल के करीब आके वो जब दूर हो गए,
सारे हसीन ख्वाब मेरे चूर हो गए,
हमने वफ़ा निभाई तो बदनामियाँ मिली,
जो लोग बेवफा थे वो मशहूर हो गए!


बहुत चाहा पर उनको भुला न सके,
ख्यालों में किसी और को ला न सके,
उनको भुलाके आसूं तो पोंछ लिए,
पर किसी और को देखकर मुस्कुरा न सके!


कभी दिल को, कभी शमा को जलाकर रोये
तेरी यादों को सीने से लगाकर रोये...
रात की गोद में जब सो गई दुनिया सारी,
तो चाँद को तस्वीर बनाकर रोये !



सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार
आनेवाला हर दिन लाये खुशियों का त्यौहार
इस उम्मीद का साथ आओ भूलके सारे गम
न्यू इयर २००९ को हम सब करे वेलकम


कल हो आज जैसा
महल हो ताज जैसा
फूल हो गुलाब जैसा
और...
ज़िन्दगी के हर कदम पे साथ हो
साथ हो आप जैसा


बेताब तमन्नाओ की कसक रहने द्दो
मंजिल को पाने की झलक रहने द्दो
आप भले ही रहो दूर नज़रों से
पर बंद पलकों में अपनी झलक रहने द्दो


खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाउंगी
सुकून बनकर दिल में उतर जाउंगी
ज़रा महसूस करने की कोशिश कीजिये
दूर होकर भी पास नज़र आउंगी


दोस्ती है वो चिराग
जो जलता ही रहेगा
बुझाना चाहे ज़माना
पर बुझा न सकेगा



ढलती शाम है तनहा,
आँखों में प्यास है,
बिना तुम्हारे हर एक लम्हा,
जिन्दगी कितनी उदास है !

दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है

सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा
फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा
अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा
क़यामत तक तुझे याद करेंगे
तेरी हर बात पर ऐतबार करेंगे
तुम्हे कुछ कहने को तो नहीं कहेंगे
फिर भी तुम्हारे कुछ कहने का इन्तजार करेंगे
रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल न जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है :
दोस्ती मौसम नहीं, कि अपनी मुद्दत पूरी करें और रुखसत हो जाएँ.
दोस्ती सावन नहीं, कि टूट कर बरसे और थम जाए,
दोस्ती आग नहीं, कि सुलगे भड़के और बुझ जाए,
दोस्ती आफताब नहीं, कि चमके और डूब जाए,
दोस्ती फूल नहीं, कि खिले और फिर मुरझा जाए,
दोस्ती तो सांस है जो चले तो सब कुछ टूट जाए तो कुछ भी नहीं ...........

Saturday, 28 March 2009

तेरे दीदार की एक तमन्ना

मैं किसी को कभी भूल सकता नहीं कोई मुझको भुलाये तो मैं क्या करूँ

आंसूओ के जाम पिए जा रहा हूँ , दिल के दिल के टुकड़े सिये जा रहा हूँ
तेरे दीदार की एक तमन्ना लिए हर रोज़ मैं मरकर जिए जा रहा हूँ

किए जा रहा तेरे नामो के सजदे उन वादों का गजरा बुने जा रहा हूँ
बीती यादों की छोटी सी गठरी बनाये अपनी किस्मत समझ लिए जा रहा हूँ

सहे जा रहा इस दुनिया के ताने अपने आप से ख़ुद ही लरे जा रहा हूँ
इस इंतज़ार की मीठी चुभन लिए थोड़ा और इंतज़ार किए जा रहा हूँ

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मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ

मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ मेरा कोई रहनुमा नहीं है!
वो क्या दिखायेंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नहीं है!!

ये आप नजरे बचा बचा कर अब और क्या देखते है मुझको
तुम्हारे काम आ सके तो ले क्यों हमारे जी का मकाम नहीं है

मैं शर रतो की तलाश में हूँ मगर ये दिल मानता नहीं है
मगर गमे जिंदगी न हो तो जिंदगी का मज़ा नहीं है

मिला आइना है तुम अपनी सूरत सवार लो और ख़ुद ही देखो
जो नुख्स होगा दिखाई देगा ये बेजुबान बोलता नहीं ही
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Wednesday, 18 March 2009

इस जहां में प्यार महके जिन्दगी बाकी रहे॥
ये दुआ माँगो दिलों में रोशनी बाकी रहे।

दिल के आँगन में उगेगा ख्वाब का सब्जा जरूर
शर्त है आँखों में अपनी कुछ नमी बाकी रहे।

हर किसी से दिल का रिश्ता काश हो कुछ इस तरह
दुश्मनी के साए में भी दोस्ती बाकी रहे।

आदमी पूरा हुआ तो देवता बन जाएगा
ये जरूरी है कि उसमें कुछ कमी बाकी रहे।

लब पे हो नगमा वफा का दिल में ये जज्बा भी हो
लाख हों रुसवाइयां पर आशिकी बाकी रहे।

दिल में मेरे पल रही है ये तमन्ना आज भी
इक समंदर पी चुकूं और जिन्दगी बाकी रहे।

Wednesday, 11 March 2009

दिल की हसरतें

ज़्यादा न थी हसरतें दिल की
चाहा था बस थोडी सी खुशी मिलती
वो चंद खुशिया भी हमें अलविदा कह गयी
यूं लगता है ज़माने की नज़र लग गयी

ज़िन्दगी में हर कदम पर धोखा खाया
जो चाहा था वो कभी ना पाया
हमारी किस्मत भी हमें दगा दे गयी,
अब तो दिल एक ख्वाहिश से भी डरता है
हर घड़ी हर पल हर साँस के साथ मरता है

वो तेरे पास न होना

बहुत ही याद आता है मेरे दिल को तड़पाता है
वो तेरा पास न होना बहुत मुझ को रुलाता है

वो मेरा तेरी आंखों के समंदर में उतर जाना
और तेरी मुस्कराहट के भंवर में डूबते जाना
तेरी आवाज़ के असर से न निकल पाना
तुझ को देखना और बे-खुदी से देखते जाना
बहुत चाहा इन गुज़रे हुए लम्हों को न सोचूँ
न तेरी याद में रह के तेरे साथ का सोचूँ
भूला दूँ सारी यादों को के जिन से दिल तडपता है
के जिन से तीस उठती है के जिन से दर्द होता है
मगर जब रात आती है तो तेरी याद आती है
तेरे ही ख्वाब होते है तेरी ही बात होती है
तुझे जब याद करते है तो दिल अपना तड़पता है
वो तेरे पास न होना बहुत महसूस होता है

मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है

रोये है बहुत तब ज़रा करार मिला है
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है
गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तेहान के दौर से
एक ख़तम हुआ तो दूसरा तैयार मिला है
मेरे दामन को खुशियों का नही मलाल
ग़म का खजाना जो इसको बेशुमार मिला है
वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है

कल की रात

कितनी मुश्किल से कटी कल की मेरी रात न पूँछ

दिल से निकली हुई होंटों में दबी बात न पूछ
वो किस अदा से मेरे सामने से गुजरा अभी

किस तरह मैने संभाले मेरे जज़्बात न पूछ
वक्त जो बदले तो इंसान बदल जाते है

क्या नही दिखलाते यह गर्दिश-ऐ-हालात न पूछ
वो किसी का हो भी गया और मुझे ख़बर नही

किस तरह उसने छुडाया है मुझ से हाथ न पूछ
इस तरह पल में मुझे बेगाना कर दिया उसने

किस तरह अपनों से खाई है मैने मात न पूछ
अब तेरा प्यार नही है तो सनम कुछ नही

कितनी मुश्किल से बनी थी दिल की काएनात न पूछ

बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे

बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे,

तब तो सिर्फ खिलोने टूटा करते थे

वो खुशिया भी ना जाने कैसी खुशियाँ थी,

तितली को पकड़ के उछला करते थे,

पाव मार के खुद बारिश के पानी में,

अपने आप को भिगोया करते थे

अब तो एक आंसू भी रुसवा कर जाता है,

बचपन में तो दिल खोल के रोया करते थे

बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे,

Sunday, 22 February 2009

जीत लिखू या हार लिखूँ

जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के जज्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सदियों लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का अहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिल में झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चो से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊ या lanka का रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ , या दिल का सारा प्यार लिखूँ

Saturday, 31 January 2009

किसी की याद

किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये

किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे

किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे

किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये

किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये

किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये

ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही

Wednesday, 14 January 2009

एक हारने वाले की व्यथा

कही किसी जगह पर था कोई एक
ख़ुद से भागता हुआ , ख़ुद से हारा हुआ
कहीं किसी और के पास अपनी खुशी को तलाशता हुआ
अपने हर तरफ उसे नजर आता था
हार का महासागर लहराता हुआ
लेकिन जीत की इच्छा अपने मन में लिए
वो अपनी हर हार में जीत को तलाशता रहा
उसे मिली जीत हर बार टुकडो में
वो तलाशता रहा इसे पूरे में
फिर एक दिन
उसे हार - जीत में मजा आने लगा
अधूरापन उसके मन को भने लगा
उसके जीवन में बदलाव आने लगा
अचानक उसे उसकी पूर्णता नजर आने लगी
खुशी उसके कदम चूमने लगी
लेकिन ,
वो फिर भागने लगा
अपनी जमीन से दूर, चाहतो से दूर
चाहने वालो से दूर
उसे लगा, यह एक छलावा है भूलभुलैया है
हारना ही उसकी नियति है
ये जीत उसके जीवन में किधर से आ रही है
समय के इस मोड़ पर खड़ा वह
ख़ुद से यह सवाल कर रहा है
मैं भ्रमित क्यों हूँ, मुझे हार ही क्यो मिलती है
लेकिन चारो तरफ के सन्नाटे से
कोई जवाब नही आता
जीत उसके लिए बनी ही नही शायद,
वह कल भी हारा था,
वह आज भी हारेगा शायद
लेकिन इस हार के बावजूद वह फिर भागेगा
शायद अपने आप के लिए या अपनी खुशी के लिए
उसे मालूम है की हारना ही उसकी नियति है
पर यही हार एक दिन,
जीत का दीदार कराएगी
उसकी नियति में हारना ही हो
लेकिन जीत की उसकी इच्छा जिन्दा रहेगी
शायद यही उसकी जीत है
या,
हार के आगे सम्पूर्ण समर्पण
या यही उसकी जिन्दगी है शायद

एक खवाब ये देखा जाए

दो घड़ी तन्हा भी बैठ जाए

कैसे हो ख़ुद से ये पुछा जाए
नहीं दीखता बहुत करीब से भी
तुमको कुछ दूर से देखा जाए
नही मिलती कोई जगह ऐसी
जहाँ जाकर तुम्हे सोचा जाए
सबको ख़ुद ही तलाशनी मंजिल
जाते राही को ना रोका जाए
घर तो अपना सजा लिया ऐ साहिल
दिल के जालो को भी झाडा जाए