Hawa ban kar bikharney se
Usey kya farq parta hai
Mere jeeney ya marney se
Usey kya farq parta hai
Usey to apni khushiyon se
Zara bhi fursat nahi milti
Mere gham ke ubharney se
Usey kya farq parta hai
us shaks ki yaadon mein
Me chahe rotey raho lekin
Tumhare aisa karney se
Usey kya farq parta hai…
Sunday, 4 October 2009
Nazar bhar k dekha na kuch baat ki..
To kyo aarzu ki mulakat…
Ye rasman bhi koi nahi puchta…
Kahan din guzara??
Kahan raat ki………
Pata ye chala vo to ha SANGDIL
Use kadr kya mere JAZBAAT KI………..
Tumhe pa k bhi hum akele rahe…………………..
Ajab DURIYAN hain ye halaat ki……..,,
Kasam hai na bulegi ”
MALIKA” Kabhi
Jo ghadiyan guzari tere sath ki………………….!!!!
To kyo aarzu ki mulakat…
Ye rasman bhi koi nahi puchta…
Kahan din guzara??
Kahan raat ki………
Pata ye chala vo to ha SANGDIL
Use kadr kya mere JAZBAAT KI………..
Tumhe pa k bhi hum akele rahe…………………..
Ajab DURIYAN hain ye halaat ki……..,,
Kasam hai na bulegi ”
MALIKA” Kabhi
Jo ghadiyan guzari tere sath ki………………….!!!!
Kisay Pukaarein Hum Is Hujoom-e-Gham Mein
Ke Sub Hi Hamaray Aazamaye Huey Hain
Tum Hi Ne Hamein Kar Diya Tanha
Warna Hum To Ta’alluq Nibhaey Huay Hain
Dheemay Dheemay Aansoo Dil Se Girtay
Ke Hum Apna Gham Sub Se Chupaey Huay Hain
Un Shaano Tak Ab Rasaai Na Rahi
Jin Shano Pe Aansoo Bahaye Huay Hain
Hum Karein Ab Kisi Per Kaisay Bharosa
Ke Zamane Se Dhokay Khaaey Huay Hain
Khushion Se Bhi Ab To Lagta Hay Dar
Is Qadar Zakham Hum Ne Khaye Huay Hain
Ab Dast-e-Shanasai Na BaRhayein Gay Hum
Ke Zamane Bhar Se Thukraye Huey Hain…
Ke Sub Hi Hamaray Aazamaye Huey Hain
Tum Hi Ne Hamein Kar Diya Tanha
Warna Hum To Ta’alluq Nibhaey Huay Hain
Dheemay Dheemay Aansoo Dil Se Girtay
Ke Hum Apna Gham Sub Se Chupaey Huay Hain
Un Shaano Tak Ab Rasaai Na Rahi
Jin Shano Pe Aansoo Bahaye Huay Hain
Hum Karein Ab Kisi Per Kaisay Bharosa
Ke Zamane Se Dhokay Khaaey Huay Hain
Khushion Se Bhi Ab To Lagta Hay Dar
Is Qadar Zakham Hum Ne Khaye Huay Hain
Ab Dast-e-Shanasai Na BaRhayein Gay Hum
Ke Zamane Bhar Se Thukraye Huey Hain…
Zindagi sabhi ko mili ho ye zaroori to nahi
aag gulshan mai baharen bhi laga sakti hai
Sirf Bijli hi giri ho ye zaroori to nahi
Neeend to dard ke bistar pe bhi aa sakti hai
Teri aahosh mai hi sar ho ye zaroori to nahi
Gazlon ka hunar saki ko sikhayenge
roange magar aansu nahi aayenge
Keh dena samandar se, Hum Oas ke moti hai
Dariya ke tarah tughse milne nahi Aayenge
Aachi surat ko sawarne ki zaroorat kya hai
Sadgi bhi to kayamet ke ada hoti hai
aag gulshan mai baharen bhi laga sakti hai
Sirf Bijli hi giri ho ye zaroori to nahi
Neeend to dard ke bistar pe bhi aa sakti hai
Teri aahosh mai hi sar ho ye zaroori to nahi
Gazlon ka hunar saki ko sikhayenge
roange magar aansu nahi aayenge
Keh dena samandar se, Hum Oas ke moti hai
Dariya ke tarah tughse milne nahi Aayenge
Aachi surat ko sawarne ki zaroorat kya hai
Sadgi bhi to kayamet ke ada hoti hai
Apna ghar, apna gaon, apne log
inki keemat, toh, wo pardeshi jaante hain,
Choot gayi rozi roti ki talaash me,
Sarzami jinki darbadar ho,
Banatey hai ghonsla kisi or saakh pe.
Par kya itnaa aasaan hota hai,
pardesh me ghar basaanaa.
Takleef toh wo hi jaanta hai
Choota hai jiska ghar gaon.
khuda tujhe mai nahi maanta.
Par fir bhi ek iltiza tujhse
Sab ko de roti apne hi gaon me .
inki keemat, toh, wo pardeshi jaante hain,
Choot gayi rozi roti ki talaash me,
Sarzami jinki darbadar ho,
Banatey hai ghonsla kisi or saakh pe.
Par kya itnaa aasaan hota hai,
pardesh me ghar basaanaa.
Takleef toh wo hi jaanta hai
Choota hai jiska ghar gaon.
khuda tujhe mai nahi maanta.
Par fir bhi ek iltiza tujhse
Sab ko de roti apne hi gaon me .
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से hai
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से hai
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं..
डरते हैं अब तो,
पास जाते उनके,
सुना है की,
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं.......
बालों की सफेदी से,
मौत भुलावे में,
कहीं भेज न दे बुलावा,
बोतलों में नहीं ,
वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....
कत्ल करने से गुरेज नहीं,
सजा का भी खौफ नहीं,
एक हाथ में खंज़र,
दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....
ये अलग बात है की देखते नहीं,
नजर भर में पलट दें , तख्त-ताज,
लफ्जों में क़यामत,
आँखों में सैलाब रखते हैं....
आदमियों की भीड़ में,
इंसानों की तलाश हुई मुश्किल,
इंसान की सूरत सा ,लोग,
चेहरे पर नकाब रखते हैं..
डरते हैं अब तो,
पास जाते उनके,
सुना है की,
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं.......
बालों की सफेदी से,
मौत भुलावे में,
कहीं भेज न दे बुलावा,
बोतलों में नहीं ,
वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....
कत्ल करने से गुरेज नहीं,
सजा का भी खौफ नहीं,
एक हाथ में खंज़र,
दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....
ये अलग बात है की देखते नहीं,
नजर भर में पलट दें , तख्त-ताज,
लफ्जों में क़यामत,
आँखों में सैलाब रखते हैं....
आदमियों की भीड़ में,
इंसानों की तलाश हुई मुश्किल,
इंसान की सूरत सा ,लोग,
चेहरे पर नकाब रखते हैं..
काफी समय पहले बी आर विप्लवी जी की कुछ पंक्तियाँ पढी थी ....मुझे पसंद आईं .....आप भी गौर फ़रमाएँ
पूछकर जात -घराने मेरे,
सब लगे ऐब गिनाने मेरे,
छेड़ मत गम के फ़साने मेरे,
दर्द उभरेंगे पुराने मेरे,
जात फिर इल्म से बड़ी निकली,
काम ना आये बहाने मेरे,
चंद लम्हों की मुलाकातों में,
कैद लाखों हैं जमाने मेरे,
छाँव आँचल की जब मिली माँ की,
भर दिए जख्म, दुआ ने मेरे,
अश्क बरसे तो सब गुमान बहे,
घुल गए मैल ,पुराने मेरे,
इक सिफर आखिरात का हासिल था ,
रह गए , जोड़-घटाने मेरे,
जब से तू बस गया निगाहों में,
चूक जाते हैं निशाने मेरे,
शहर में घर , न गाँव में खेती,
है कहाँ ठौर, ठिकाने मेरे,
विप्लवी खोजते हुए खुशियाँ,
सब लुटे ख्वाब सुहाने मेरे
पूछकर जात -घराने मेरे,
सब लगे ऐब गिनाने मेरे,
छेड़ मत गम के फ़साने मेरे,
दर्द उभरेंगे पुराने मेरे,
जात फिर इल्म से बड़ी निकली,
काम ना आये बहाने मेरे,
चंद लम्हों की मुलाकातों में,
कैद लाखों हैं जमाने मेरे,
छाँव आँचल की जब मिली माँ की,
भर दिए जख्म, दुआ ने मेरे,
अश्क बरसे तो सब गुमान बहे,
घुल गए मैल ,पुराने मेरे,
इक सिफर आखिरात का हासिल था ,
रह गए , जोड़-घटाने मेरे,
जब से तू बस गया निगाहों में,
चूक जाते हैं निशाने मेरे,
शहर में घर , न गाँव में खेती,
है कहाँ ठौर, ठिकाने मेरे,
विप्लवी खोजते हुए खुशियाँ,
सब लुटे ख्वाब सुहाने मेरे
Kuch din pehle mohabbat ko sapna samjha hum ne
Muhabbat hue mohabbat ko apna samjha hum ne
Mohabbat main iskadar madhosh ho Gaye
Is ki bewafai ko wafa samjha hum ne?
Zakham iskadar mohabbat ne diye
Hum ne in zakhmo ko phool samjha
Mohabbat ki chik o pukaar iskadar thi
Ke ass pass ke logo ki roone ko asna samjha hum ne
Mohabbat ki shidat main aankhen iskadar chandiya Gaye
Har chamakti chiz ko sona samjha hum ne
Dewaana iskadar mohabbat ne bannaya humko
Ke apno ko begana samjha hum ne
Mohabbat ki yaadein dil par kuch you naksh kar Gaye.
Ke on ko bhulane ki khoshish main
Khod ko bhula diya hum ne..
Muhabbat hue mohabbat ko apna samjha hum ne
Mohabbat main iskadar madhosh ho Gaye
Is ki bewafai ko wafa samjha hum ne?
Zakham iskadar mohabbat ne diye
Hum ne in zakhmo ko phool samjha
Mohabbat ki chik o pukaar iskadar thi
Ke ass pass ke logo ki roone ko asna samjha hum ne
Mohabbat ki shidat main aankhen iskadar chandiya Gaye
Har chamakti chiz ko sona samjha hum ne
Dewaana iskadar mohabbat ne bannaya humko
Ke apno ko begana samjha hum ne
Mohabbat ki yaadein dil par kuch you naksh kar Gaye.
Ke on ko bhulane ki khoshish main
Khod ko bhula diya hum ne..
नींद
मैं नींद के इंतज़ार में करवट बदल रहा था
और वो मेरे पायदाने में सिसक रही थी
मैं किसी और खयालो में डूबा हुआ था
नींद की बाहें मुझे दूंढ़ रही थी
जिसके खयालो ने मुझे अपने में डूबा लिया
उसका हाल न जाने कैसा था
पर मेरे खयालो में तो वही छाई थी
और
नींद ने भी अपना आशियाना शायद उसकी बाँहों में बना लिया
या
मेरी बेरुखी ही उसे वहा ले गयी
फिर
मैं एक दिन नींद की खोज में निकला
वो मिली
मैंने पुछा
तुम मेरे पास से क्यों चली गयी
उसने कहा
तुम तो हरदम उसके खयालो में खोये रहते हो
इसलिए तुम मुझे कहा मिलते हो
मैं जब भी तुम्हारे पास आती हूँ
तुम हमेशा वही चले जाते हो
मैंने भी थक हार कर सोचा
जो तुम्हे इतना प्रिये है
मैं भी उसी के पास चली जाती हूँ
शायद तब तुमको मैं पा सकूंगी
और मेरी किस्मत देखो
तुम अब मेरे पास ही आ गए
और वो मेरे पायदाने में सिसक रही थी
मैं किसी और खयालो में डूबा हुआ था
नींद की बाहें मुझे दूंढ़ रही थी
जिसके खयालो ने मुझे अपने में डूबा लिया
उसका हाल न जाने कैसा था
पर मेरे खयालो में तो वही छाई थी
और
नींद ने भी अपना आशियाना शायद उसकी बाँहों में बना लिया
या
मेरी बेरुखी ही उसे वहा ले गयी
फिर
मैं एक दिन नींद की खोज में निकला
वो मिली
मैंने पुछा
तुम मेरे पास से क्यों चली गयी
उसने कहा
तुम तो हरदम उसके खयालो में खोये रहते हो
इसलिए तुम मुझे कहा मिलते हो
मैं जब भी तुम्हारे पास आती हूँ
तुम हमेशा वही चले जाते हो
मैंने भी थक हार कर सोचा
जो तुम्हे इतना प्रिये है
मैं भी उसी के पास चली जाती हूँ
शायद तब तुमको मैं पा सकूंगी
और मेरी किस्मत देखो
तुम अब मेरे पास ही आ गए
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