Friday, 22 November 2019

मुलाक़ात

किसी से मिलने की चाहत ने
ये क्या किया मेरे साथ
मैं सब से दूर खुद से दूर
एक अनजानी राह पर बढ़ चला
यह कैसी कामना है जागी
यह उन्माद कहा से आया
मन मेरा मचलकर मुझसे 
फिर पीछे कहा ले चला 
फिर से यह लग रहा है मुझे
मैं वापस वही चलु
जहाँ तुम थी मैं था 
और भी बहुत कुछ था 
तब  मैं था तुम थे 
लेकिन हम नहीं थे