दूर रेह्केभी क्यों
इतने पास रहते हैं वो?
हम उनके कोई नही,
क्यों हमारे सबकुछ,
लगते रहेते हैं वो?
सर आँखोंपे चढाया,
अब क्यों अनजान,
हमसे बनतें हैं वो?
वो अदा थी या,
है ये अलग अंदाज़?
क्यों हमारी हर अदा,
नज़रंदाज़ करते हैं वो?
घर छोडा,शेहेर छोडा,
बेघर हुए, परदेस गए,
और क्या, क्या, करें,
वोही कहें,इतना क्यों,
पीछा करतें हैं वो?
खुली आँखोंसे नज़र
कभी आते नही वो!
मूंदतेही अपनी पलकें,
सामने आते हैं वो!
इस कदर क्यों सताते हैं वो?
कभी दिनमे ख्वाब दिखलाये,
अब क्योंकर कैसे,
नींदें भी हराम करते हैं वो?
जब हरेक शब हमारी ,
आँखोंमे गुज़रती हो,
वोही बताएँ हिकमत हमसे,
क्योंकर सपनों में आयेंगे वो?
सुना है, अपने ख्वाबों में,
हर शब मुस्कुरातें हैं वो,
कौन है,हमें बताओ तो,
उनके ख्वाबोंमे आती जो?
दूर रेह्केभी क्यों,
हरवक्त पास रहेते हैं वो?
Tuesday, 16 June 2009
kya neer rahit hai too badree ?
too dekh to apna hee aanchal'
shayad ho samayee koyee namee'
shayad ho samete ek bijlee.
chal kuch na sahee too hai badree !
kisee dhoop me koyee chaon sahee,
kisee rahee ko ek thaon sahee,
kisee sapne ka ek gaon sahee,
ummeed me uththa paon sahee,
jeevan ka antim daaon sahee !
bas dhoop me thodee chaon sahee .
too dekh to apna hee aanchal'
shayad ho samayee koyee namee'
shayad ho samete ek bijlee.
chal kuch na sahee too hai badree !
kisee dhoop me koyee chaon sahee,
kisee rahee ko ek thaon sahee,
kisee sapne ka ek gaon sahee,
ummeed me uththa paon sahee,
jeevan ka antim daaon sahee !
bas dhoop me thodee chaon sahee .
हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी,
जिसे बरसनेकी इजाज़त नही....
वैसेतो मुझमे, नीरभी नही,
बिजुरीभी नही,युगोंसे हूँ सूखी,
पीछे छुपा कोई चांदभी नही....
चाहत एक बूँद नूरकी,
आदी हूँ अन्धेरोंकी,फिरभी,
सदियोंसे वो मिली नही....
के मै हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी....
मेरे लिए तमन्नाएँ लाज़िम नही....
अपनेही बंद आसमानोंकी,
जिसे बरसनेकी इजाज़त नही....
वैसेतो मुझमे, नीरभी नही,
बिजुरीभी नही,युगोंसे हूँ सूखी,
पीछे छुपा कोई चांदभी नही....
चाहत एक बूँद नूरकी,
आदी हूँ अन्धेरोंकी,फिरभी,
सदियोंसे वो मिली नही....
के मै हूँ भटकी हुई एक बदरी,
अपनेही बंद आसमानोंकी....
मेरे लिए तमन्नाएँ लाज़िम नही....
Friday, 12 June 2009
इंतज़ार
मुझे हरदम किसी तलाश क्यूं हैं
मुझे हर घड़ी किसी का इंतज़ार क्यूं है'
मैं हर रोज किसकी उम्मीद में दिन गुजारता हूँ
रातों को तन्हाई में किसी के आने की आस क्यों करता हूँ
मैंने तो अपने हर ओर एक दीवार खड़ी की है
इसको पार करने की किसी को इजाजत नहीं दी है
फिर इस दिल को किसी चाँदनी की चाहत क्यूं है
मैंने ख़ुद ही अपने दिल को दिमाग का गुलाम बनाया
फिर मुझे इस दिल की आजादी की चाह क्यों है
मैंने इन दीवारों को बहुत ही मजबूत बनाया
फिर भी मुझे इस्नके टूटने की हसरत क्यों हैं
यहाँ कौन किसी के लिए इंतज़ार करता है
फिर भी मुझे किसी का इंतज़ार क्यों है
मुझे हर घड़ी किसी का इंतज़ार क्यूं है'
मैं हर रोज किसकी उम्मीद में दिन गुजारता हूँ
रातों को तन्हाई में किसी के आने की आस क्यों करता हूँ
मैंने तो अपने हर ओर एक दीवार खड़ी की है
इसको पार करने की किसी को इजाजत नहीं दी है
फिर इस दिल को किसी चाँदनी की चाहत क्यूं है
मैंने ख़ुद ही अपने दिल को दिमाग का गुलाम बनाया
फिर मुझे इस दिल की आजादी की चाह क्यों है
मैंने इन दीवारों को बहुत ही मजबूत बनाया
फिर भी मुझे इस्नके टूटने की हसरत क्यों हैं
यहाँ कौन किसी के लिए इंतज़ार करता है
फिर भी मुझे किसी का इंतज़ार क्यों है
दोस्ती
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रहने का॥
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में॥
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की।
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
यह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज॥
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में॥
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी॥
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में॥
कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी॥
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते है अलग-अलग॥
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में॥
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में॥
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की।
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
यह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज॥
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में॥
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी॥
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में॥
कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी॥
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में॥
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते है अलग-अलग॥
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में॥
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
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