जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के जज्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सदियों लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का अहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिल में झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चो से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊ या lanka का रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ , या दिल का सारा प्यार लिखूँ
Sunday 22 February, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
Thnx a lot for putting my poem in ur blog ..it wud be very nice if u put my name along with poem
for watching the video of this poem
click here
http://aaobakarkarein.blogspot.com/
regards
Divya Prakash Dubey
Post a Comment