Thursday, 14 January 2010

कौन हूँ मैं


कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,.
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .

जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.. मेरा परिचय""मिट्टी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन, मेरा परिचय"

Wednesday, 6 January 2010

चलो अब शाम की बातें करते हैं

कुछ लम्हे तो जी लिए हैं भरपूर


अब आराम की बातें करते हैं

जिंदगी है बहुत दौड़-धूप

चलो अब शाम की बातें करते हैं



रात चैन से सोए नहीं

सुबह से हैं हम जागे हुए

जीवन की आपाधापी में

कहाँ-कहाँ नहीं हैं भागे हुए

थक कर हुए हैं चूर

चलो अब छाँव की बातें करते हैं



घुटन में जी रहे है लोग यहाँ

धुँआ है हर तरफ फैला हुआ

झूठी मुस्कानों से भरे चेहरे

मन मगर है मैला हुआ

कुछ देर घूम आएँ शहर से दूर

चलो अब गाँव की बातें करते हैं



पल पल घटते जीवन में

जोड़ने की धुन में जिए जाते हैं

गुणा- भाग के फेर में

हम एक दिन शेष बन कर रह जाते हैं

जीवन में बचा है फिर भी बहुत सुरूर

चलो अब जाम की बातें करते हैं



कभी हँस के- कभी रो के

हम सब रिश्तों को यहाँ ढोते हैं

कभी बुनते हैं हम सपने

कभी हम सपनों को यहाँ बोते हैं

बेतहाशा दौड़ती जिंदगी न जाए छूट

चलो अब लगाम की बातें करते हैं



कुछ लम्हे तो जी लिए हैं भरपूर

अब आराम की बातें करते हैं

जिंदगी है बहुत दौड़-धूप

चलो अब शाम की बातें करते हैं